बंगनपल्ली आम की हो रही खूब चर्चा, खूबियां जानकर दंग रह जाएंगे आप

बंगनपल्ले आम आंध्र प्रदेश की एक विशेष आम की किस्म है, जो अपने स्वाद, सुगंध और मुनाफे के लिए प्रसिद्ध है. इसकी खेती मुख्य रूप से कुरनूल जिले में की जाती है और इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी दिया गया है.

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नोएडा | Published: 10 Apr, 2025 | 08:37 AM

भारत में आम का नाम सुनते ही लोगों की ज़ुबान पर पानी आ जाता है. यहां हर राज्य में आम की अपनी खास किस्में पाई जाती हैं, जिनका स्वाद, रंग, खुशबू और बनावट अलग-अलग होती है. लेकिन जब बात आंध्र प्रदेश की आती है, तो वहां के बंगनपल्ली आम (Banganapalle Mango) को सबसे खास माना जाता है. यही वजह है कि इसे आंध्र प्रदेश के साथ साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में खूब खाया जाता है. यह आम न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. आज हम जानेंगे इस आम की खासियत और खूबियों के बारे में.

कहां से आया बंगनपल्ले आम?

बंगनपल्ली आम का नाम आंध्र प्रदेश के नंद्याल जिले के बंगनपल्ली गांव से लिया गया है, जहां इस आम की खेती की शुरुआत हुई थी. इसे बेनिशन (Benishan) या बर्निशा (Bernisha) के नाम से भी जाना जाता है. आंध्र प्रदेश में करीब 70 प्रतिशत आम की खेती सिर्फ बंगनपल्ले किस्म की होती है, जिससे आप इस आम की लोकप्रियता का अंदाज लगा सकते हैं. इसके साथ ही इस आम को 3 मई 2017 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग भी दिया गया है. जिससे यह साबित होता है कि यह आम खास तौर पर इस क्षेत्र में उगाया जाता है और इसकी एक अलग पहचान है.

खूबियों से भरपूर है बंगनपल्ली आम

बंगनपल्ली आम का आकार लंबा और अंडाकार होता है, जिसकी लंबाई लगभग 20 सेंटीमीटर होती है. इसका छिलका पतला और चिकना होता है, जो पूरी तरह पकने के बाद पीला दिखाई देने लगता है. यह स्वाद में मीठा और कम रेशे वाले आयामों में से एक होता. इस आम का यह गुण इसे बाकी आयामों से काफी अलग बनाता है. इस आम में विटामिन A और C भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे यह सेहत के लिए और भी फायदेमंद साबित होता है. यह आम गर्मियों के आखिर में उपलब्ध होता है, जिससे इसे कैनिंग यानी पैकिंग और प्रोसेसिंग के लिए भी बेस्ट माना जाता है.

कहीं चप्पताई तो कहीं बादाम मिला नाम

आंध्र प्रदेश में बंगनपल्ली आम की खेती मुख्य रूप से कुरनूल जिले के बंगनपल्ली, पन्यम और नंदयाल के मंडलों में की जाती है. इसके अलावा कोस्टल और रायलसीमा क्षेत्रों में भी इसकी अच्छी खेती होती है. वहीं, इस आम को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इसे सफेदा कहा जाता है, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में इसे बादाम आम कहा जाता है, और कहीं-कहीं तो इसे चप्पताई के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि आंध्र प्रदेश में बंगनपल्ले आम के अलावा, तोतापुरी, हंपस और सफेदा आम भी पाए जाते हैं.

किसानों की भरपूर कमाई

बंगनपल्ले आम की खेती 20-30 प्रतिशत तक का सालाना रिटर्न दे सकती है. इस आम को एक हेक्टेयर बागों में लगाने का खर्च लगभग 20 से 25 लाख रुपये तक का आता है. जिसमें जमीन की खरीद, जमीन तैयारी, पौधे लगाना, सिंचाई और देखभाल जैसे खर्च शामिल हैं. लेकिन जब यही पेड़ तैयार हो जाते और फल देने लगते हैं, तो मुनाफा धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. अपने खास मिठास, कम रेशे ज्यादा गूदा और लंबे शेल्फ लाइफ होने की वजह से बाजारों में इसकी मांग अधिक रहती है.

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Published: 10 Apr, 2025 | 08:37 AM

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