बुजुर्ग किसान को मिलेंगे 10 लाख रुपये, बिजली कंपनी से फसल बर्बादी का केस जीता

शिकायत करने वाले किसान ने बताया कि उन्होंने अपने खेत पर 5 हजार बांस के पेड़ लगाए थे. उनके खेत से गुजरने वाली MSEDCL की हाईटेंशन लाइन के दो तारों की स्पार्किंग के चलते पेड़ों में आग लग गई और वे पूरी तरह जल गए.

नोएडा | Published: 25 May, 2025 | 09:35 PM

महाराष्ट्र के नागपुर में उपभोक्ता आयोग ने एक सरकारी बिजली कंपनी के चार कर्मचारियों को एक बुजुर्ग किसान को 10 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. दरअसल, किसान के खेत में लगी बांस की फसल उसके खेत से गुजरने वाली बिजली लाइनों में खराबी के कारण लगी आग में नष्ट हो गई थी. जिसको लेकर ये फैसला लिया गया है. 2018 से बुजुर्ग किसान मुआवजा पाने के लिए लड़ाई लड़ रहा था. पीटीआई के हवाले से बताया गया कि महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के तीन शीर्ष रैंक वाले इंजीनियरों और क्षेत्र में इसके क्षेत्रीय निदेशक को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है.

5 हजार बांस के पेड़ हुए तबाह

शिकायत करने वाले किसान ने जिसकी उम्र 68 साल है, उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खेत पर 5 हजार बांस के पेड़ लगाए थे, जो बिक्री के लिए अर्ध-सूखे अवस्था में थे. उन्होंने आरोप लगाया कि 22 मार्च, 2018 को उनके खेत से गुजरने वाली MSEDCL की हाई-टेंशन ट्रांसमिशन लाइन के दो तारों के बीच घर्षण और स्पार्किंग के कारण पेड़ों में आग लग गई और वे पूरी तरह जल गए. किसान ने दावा किया कि नुकसान विपक्षी दलों की लापरवाही और बिजली लाइनों के सही से रखरखाव न करने के कारण हुआ और वन विभाग द्वारा निर्धारित मुआवजे की मांग की. उन्होंने शारीरिक और मानसिक परेशानी के लिए 2 लाख रुपये और शिकायत खर्च के लिए 50 हजार रुपये भी मांगे.

मुआवजे में मात्र 4.2 लाख रुपये दिए गए

शिकायत करने वाले किसान ने बताया कि उन्होंने मामले की जानकारी तहसीलदार और स्थानीय पुलिस थाने को दी थी. साथ ही उन्होंने बिजली कंपनी को भी जानकारी दी थी. उन्होंने बताया के मौके पर आकर पुलिस ने जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट भी तैयार की और बिजली लाइन की मरम्मत भी की गई. बनाई गई रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग का कुल नुकसान 10.27 लाख निकला . जबकि किसान को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि केवल 4.2 ही निकली. जिसके बाद किसान ने उपभोक्ता आयोग का रुख किया. हालांकि , एमएसईडीसीएल अधिकारियों ने अपने लिखित बयान में शिकायतकर्ता के पूरे दावे को नकार दिया और शिकायत को खारिज करने की मांग की थी. साथ ही बिजली कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया था कि अगर किसान मुआवजे से खुश नहीं था , तो उसे बिजली विभाग के तय मानकों के अनुसार मांग करनी चाहिए थी.

आयोग ने 10 लाख रुपये के मुआवजे के निर्देश दिए

बता दें कि वन विभाग ने रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों की सही से जांच करने के बाद किसान को दिए जाने वाले मुआवजे की असल रकम 10 लाख रुपये बताई है. साथ ही आयोग ने बिजली कंपनी को शिकायत की तारीख यानी 23 मार्च , 2018 से लेकर अभी तक 9 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजे की राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं. एमएसईडीसीएल के कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक कष्ट के लिए 40,000 रुपये और किसान द्वारा किए गए खर्च के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करने के लिए भी कहा गया है. भुगतान के लिए आयोग ने बिजली कंपनी को 15 मई से लेकर 45 दिन का समय दिया है.