आजादी के 75 साल बाद गांव पहुंची बस.. पीएम मोदी ने ड्रोन दीदी, शेरों की संख्या का किया जिक्र

ड्रोन दीदी कृषि में एक नई क्रांति की शुरुआत कर रही हैं. तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में, कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वे ही महिलाएं drone से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 25 May, 2025 | 12:02 PM

देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और अभी भी कुछ जगहों पर मूलभूत सुविधाएं पहुंचने का इंतजार ग्रामीण कर रहे हैं. कुछ हफ्ते पहले ही छत्तीसगढ़ के दर्जनभर से ज्यादा वनग्रामों में बिजली पहुंची है. वहीं, हाल ही में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के गांव में बस सेवा पहुंची तो वहां के ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई. बसे सेवा पहुंचने का जिक्र आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कार्यक्रम में किया. उन्होंने ड्रोन दीदी योजना, गुजरात में शेरों की संख्या में बढ़ोत्तरी, नार्थ ईस्ट के विकास और उत्तराखंड के पोलियो ग्रस्त व्यक्ति की सफलता के बारे में लोगों के साथ जानकारी साझा की.

मन की बात कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, आक्रोश से भरा हुआ है, संकल्पबद्ध है. आज हर भारतीय का यही संकल्प है, हमें आतंकवाद को खत्म करना ही है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेनाओं ने जो पराक्रम दिखाया है, उसने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा कर दिया है.

50 एकड़ फसल में ड्रोन से छिड़काव कर रहीं महिलाएं

पीएम मोदी ने कहा कि ड्रोन दीदी कृषि में एक नई क्रांति की शुरुआत कर रही हैं. तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में, कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वे ही महिलाएं ड्रोन से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं. देश में ड्रोन दीदी योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही खेती के विकास में योगदान दिया है.

महाराष्ट्र के काटेझरी में आजादी के बाद पहली बार पहुंची बस

पीएम ने कहा कि बस से कहीं आना-जाना कितनी सामान्य बात है. लेकिन मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं, जहां पहली बार एक बस पहुंची. इस दिन का वहां के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे. और जब गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया. यह जगह है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में, और इस गांव का नाम है, काटेझरी.

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण युवाओं की तारीफ

‘मन की बात’ में हम छत्तीसगढ़ में हुए बस्तर ओलंपिक्स और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में साइंस लैब पर चर्चा कर चुके हैं. यहां के बच्चों में साइंस का पैशन है. वो खेल में भी कमाल कर रहे हैं. ऐसे प्रयासों से पता चलता है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग कितने साहसी होते हैं. इन लोगों ने तमाम चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है. मुझे यह जानकार भी बहुत खुशी हुई कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में दंतेवाड़ा जिले के नतीजे बहुत शानदार रहे हैं.

गुजरात में 200 से ज्यादा बढ़ी शेरों की संख्या

पिछले केवल पांच वर्षों में गुजरात के गिर में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है. गुजरात ऐसा पहला राज्य बना, जहां बड़े पैमाने पर फॉरेस्ट ऑफिसर्स (Forest Officers) के पद पर महिलाओं की तैनाती की गई. आज हम जो नतीजे देख रहे हैं, उसमें इन सभी का योगदान है. वाइल्ड लाइफ संरक्षण  (Wild Life Protection) के लिए हमें ऐसे ही हमेशा जागरुक और सतर्क रहना होगा.

पशु चिकित्सक को सिक्किम की संस्कृति का ब्रांड एंबेस्डर बताया

North East की बात ही कुछ और है, वहां का सामर्थ्य, वहां का टैलेंट, वाकई अद्भुत है. मुझे एक दिलचस्प कहानी पता चली है क्राफ्टेड फाइबर्स (crafted fibers) की. क्राफ्टेड फाइबर्स ये सिर्फ एक ब्रांड नहीं, सिक्किम की परंपरा, बुनाई की कला और आज के फैशन की सोच – तीनों का सुन्दर संगम है. इसकी शुरुआत की डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने.  पेशे से वो वेटरनरी डॉक्टर (Veterinary Doctor) हैं और दिल से सिक्किम की संस्कृति के सच्चे ब्रांड एंबेस्डर हैं.

सूखी छाल से आर्ट बनाने वाले पोलियोग्रस्त कलाकार से पीएम प्रभावित

आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूं जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी हैं. नाम है -जीवन जोशी, उम्र 65 साल. जीवन जी उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहते हैं. बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन पोलियो, उनके हौसलों को नहीं छीन पाया। उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा. इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया – नाम रखा ‘बगेट’. इसमें वो चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाते हैं.

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Published: 25 May, 2025 | 11:46 AM

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