सिंधु जल समझौता: प्यासा तड़पेगा पाक…6 नदियों का पानी ऐसे इस्तेमाल करेगा भारत

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है. इस समझौते में शामिल 6 नदियों का पूरा पानी भारत इस्तेमाल करेगा. इससे खेती-किसानी को बड़ा फायदा होगा.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 24 Apr, 2025 | 03:54 PM

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है. इस समझौते में शामिल 6 नदियों सिंधु, सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम का पानी का 80 फीसदी से अधिक पाकिस्तान में जा रहा था वह देश में ही रहेगा. यानी इन 6 नदियों का 100 फीसदी पानी भारत इस्तेमाल करेगा. वर्तमान में गर्मी के मौसम में इस पानी का इस्तेमाल देश की खेती किसानी में किया जा सकता है. जबकि, इसके साथ ही कुछ हिस्सों में गर्मियों के दौरान पेयजल संकट हो जाता है उसे भी दूर करने में आसानी हो जाएगी.

अब सवाल यह है कि 6 नदियों का पानी भारत में कैसे इस्तेमाल होगा और देश के किन हिस्सों में और कैसे इस पानी को पहुंचाया जाएगा. तो आइये जान लेते हैं.

पंजाब में 5 नदियां और 14 बांध

तिब्बत और हिमालयी क्षेत्र से निकलने वाली ये नदियां भारत के पंजाब और जम्मू कश्मीर सूबे से होकर पाकिस्तान जाती है. इन 6 में से 5 नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम पंजाब से गुजरती हैं. इसी लिए पंजाब को पांच नदियों का राज्य कहते हैं और पंज से ही राज्य का नाम पंजाब पड़ा है. पंजाब में इन नदियों पर 14 बांध बने हुए हैं. इन बांधों को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाया गया है.

इन बांधों में प्रमुख भाखड़ा बांध को सतलुज नदी पर बनाया गया है. जबकि, रंजीत सागर बांध जिसे थीन बांध भी कहते हैं वह रावी नदी पर बना है. अन्य नदियों पर भी बांधों को भी बनाया गया है. अब पानी का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा उस सवाल का जवाब यहीं पर है. दरअसल, इन बांधों से जुड़ी नहरों के जरिए पांचों नदियों का पानी पंजाब और हरियाणा में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद पानी को दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में भी आगे बढ़ाया जा सकता है.

पानी से दूर होंगे ये संकट

आपको बता दें कि पंजाब में पिछले कुछ सालों में कुछ फसलों के उत्पादन में गिरावट देखी गई है. खासतौर पर पंजाब में कपास के रकबे में गिरावट आई है. साल 2018-19 में 2.68 लाख हेक्टेयर से 2024-25 में 0.97 लाख हेक्टेयर तक उत्पादन गिर गया है. इसके चलते कपास उत्पादन भी 12.22 लाख गांठ से घटकर 2.72 लाख गांठ रह गया है. इसकी एक वजह समय पर सिंचाई के लिए पानी की न मिलना भी रहा है. इसी तरह हरियाणा में भी कुछ फसलों की उपज प्रभावित हुई है.

पंजाब की बात करें तो राज्यभर में धान की अत्यधिक खेती करने से में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में अत्यधिक जल दोहन की वजह से भूजल स्तर जो पहले 40 से 80 फीट की गहराई पर था वह और नीचे खिसककर 300 से फीट तक नीचे चला गया है. इन दोनों राज्यों में जायद सीजन में कपास के साथ ही बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती की जाती है. जबकि, कुछ हिस्सों में मूंग और उड़द की खेती भी होती है.

पानी का इस तरह भी हो सकेगा इस्तेमाल

ऐसे में वर्तमान में जो पानी पाकिस्तान को देने से रोका गया है उसका इस्तेमाल इन फसलों में सिंचाई के रूप में किया जा सकता है. जबकि, पहले से जो जलाशय मौजूद हैं उनमें भी पानी को स्टोर किया जा सकता है और बाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा इस पानी को दिल्ली से होते हुए अन्य राज्यों में भी भेजकर गर्मियों के दौरान पेयजल और सिंचाई में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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Published: 24 Apr, 2025 | 03:51 PM

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