राजेंद्र परवल की किस्में बढ़ा रहीं किसानों की कमाई, 5 साल तक उपज देती है एक बेल

राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय ने परवल की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं जो अधिक उत्पादन क्षमता और रोगों से लड़ने में सक्षम होने के चले बंपर पैदावार दे रही हैं. इससे परवल की खेती करने वाले किसानों की आमदनी बढ़ी है.

नोएडा | Updated On: 7 May, 2025 | 04:05 PM

खेती अब सिर्फ गेहूं-धान तक सीमित नहीं रह गई है. बदलते समय के साथ किसान अब ऐसी सब्जियों की ओर बढ़ रहे हैं जो न केवल स्वाद में उम्दा हों, बल्कि जो बाजार में भी अच्छी कीमत दिला सकें. ऐसी ही एक सब्जी परवल है, जिसका वैज्ञानिक नाम ट्राइकोसैंथेस डियोइका है. जिसे देश के कई हिस्सों में बेहद पसंद किया जाता है. इसी कड़ी में बिहार के राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से विकसित की गई दो खास किस्में जिसका नाम राजेन्द्र परवल-1 और राजेन्द्र परवल-2 है. जो की अब न सिर्फ किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही बल्कि इसे उनका मुनाफा भी अधिक बढ़ सकता हैं.

इन नामों से जाना भी जाता है परवल

परवल एक बहुवर्षीय बेल वाली सब्जी है. यह कई जगहों पर कई नामों से जानी जाती है. जिनमें तमिल में यह कोवक्काई, कन्नड़ में थोंड़े काई, असमिया, संस्कृत, ओडिया, बंगाली में पोटोल और अवध भाषा में परोरा के नाम से जाना जाता है. यह एक मौसम की सब्जी है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. परवल में विटामिन ए, सी, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. यह पाचन को बेहतर बनाने, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने और वजन प्रबंधन में मदद करता है. साथ ही परवल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और पॉलीफेनॉल कार्डियोवस्कुलर सिस्टम में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को कम करने में भी मदद कर सकते हैं. वहीं अगर हम बात करें परवल की खेती कि तो भारत के अधिकांश क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. जिनमें प्रमुख राज्यों उत्पादक बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट्र के किसान शामिल है. इस फसल की खेती साल में एक बार की जाती है.

ज्यादा उपज, बढ़िया स्वाद के साथ राजेन्द्र परवल-1

यह एक उन्नत किस्म है जो उच्च उत्पादन क्षमता और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. इसकी फलियां गहरे हरे रंग की होती हैं और 3 से 7 इंच लंबी, बेलनाकार व नुकीले सिरे वाली होती हैं. इस किस्म का गूदा नरम होता है, जो पकने पर हल्की मिठास और कुरकुरेपन का एहसास देता है. चाहे उसे भुजिया में डालें, करी बनाएं या भरकर पकाएं, इसका स्वाद हर रूप में लाजवाब होता है. किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि यह किस्म रोग-प्रतिरोधक है और कीटों से भी कम प्रभावित होती है. साथ ही, यह हर जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छी उपज देती है, जिससे इसकी खेती किसानों के लिए और भी मुनाफेदार बन जाती हैं.

लंबे समय तक टिकने वाली किस्म है राजेन्द्र परवल-2

राजेन्द्र परवल-2 भी एक बेहतरीन किस्म है जो दिखने में थोड़ी हल्की हरी होती है और इसका आकार थोड़ा चौड़ा होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसका गूदा थोड़ा घना और ठोस होता है, जिससे यह ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होती यानी बाजार में बिक्री के लिए बेस्ट हैं. इसका स्वाद हल्का मीठा और थोड़ा सा नट जैसा होता है, जो कई लोगों को यह काफी पसंद आता है. यह किस्म भी रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है और किसानों को अच्छी पैदावार देती है. राजेन्द्र परवल-2 टिकाऊपन के कारण इसकी मांग मंडियों में अच्छी रहती है.

किसानों के लिए कमाई का मौका

राजेन्द्र परवल की ये दोनों किस्में कम मेहनत में बेहतर पैदावार और बाजार में बेहतर कीमत देने की क्षमता रखती हैं. इसके अलावा, परवल की बेल एक बार लगाने के बाद 3 से 5 साल तक फल देती है, जिससे हर साल दोबारा बीज लगाने की जरूरत नहीं पड़ती यानी लागत कम और मुनाफा ज्यादा.

 

 

Published: 7 May, 2025 | 04:05 PM