केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान) की 20वीं किस्त जारी की है. अब देशभर के किसान 21वीं किस्त का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच किसानों के बीच एक अफवाह तेजी से फैल रही है कि सरकार इस योजना की राशि दोगुनी कर सकती है, ठीक वैसे ही जैसे 8वां वेतन आयोग लाने की चर्चा चल रही है, जिससे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन बढ़ सकती है. हालांकि, इन खबरों पर सरकार ने स्पष्टीकरण दे दिया है. संसद में एक लिखित जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि पीएम-किसान योजना की राशि बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. यानी किसानों को पहले की तरह हर साल 6,000 रुपये की सहायता ही मिलेगी, जो 2,000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में उनके बैंक खाते में सीधे भेजी जाती है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एक केंद्र सरकार की योजना है, जिसका मकसद छोटे और सीमांत किसानों की मदद करना है. इस योजना के तहत पात्र किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. यह राशि 2,000 रुपये की तीन किस्तों में सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजी जाती है. यह योजना दिसंबर 2018 में शुरू हुई थी और फरवरी 2019 से पूरे देश में लागू की गई. इसका उद्देश्य किसानों की आजीविका को सहारा देना, खेती से जुड़े खर्चों में मदद करना और साहूकारों पर निर्भरता कम करना है.
2 अगस्त को जारी हुई 20वीं किस्त
PM-KISAN की 20वीं किस्त 2 अगस्त 2025 को जारी की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में एक जनसभा को संबोधित करने से पहले जारी की थी. तब 9 करोड़ से अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया था. इसके लिए केंद्र सरकार को 20 हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ी थी.अब किसान 21वीं किस्त का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने अभी आधिकारिक तारीख नहीं बताई है, लेकिन पिछले पैटर्न को देखते हुए यह किस्त नवंबर 2025 में जारी हो सकती है.
पीएम किसान के लिए कौन किसान हैं पात्र?
- भारत का नागरिक होना चाहिए
- कृषि योग्य भूमि का मालिक होना चाहिए
- लघु या सीमांत किसान होना चाहिए
- प्रति माह 10,000 रुपये या उससे अधिक पेंशन पाने वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए
- आयकर जमा नहीं किया होना चाहिए
- संस्थागत भूमिधारक नहीं होना चाहिए
- कब शुरू हुई पीएम किसान योजना
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत 2019 में की गई थी. तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इसे अंतरिम बजट में ऐलान किया था. यह अब दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना बन चुकी है.