अगर बकरियों को लंबे समय तक एक ही जगह पर चरने दिया जाए तो वहां की घास जल्दी खत्म हो सकती है और पौष्टिकता कम हो सकती है, जिससे उनकी सेहत खराब होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बकरियों को चरने के लिए जगह बदलते रहना चाहिए.
बरसात में बाहर चरने से बकरियों को ठंड लगने और बीमारी होने का खतरा रहता है. इसलिए बारिश के समय बकरियों को बाहर भेजने से बचें और केवल तब ही बाहर ले जाएं जब धूप निकल रही हो.
अगर कोई बकरी बीमार है तो उसे बाहर चरने के लिए न भेजना चाहिए ताकि उसकी बीमारी और गंभीर न हो और अन्य बकरियों में संक्रमण न फैल सके. बीमार बकरी को अच्छी देखभाल और आराम देना जरूरी होता है.
गर्भवती बकरियों को उनके अंतिम दो हफ्तों में ज्यादा थकाने से बचाना चाहिए, इसलिए इस दौरान उन्हें चरने के लिए बाहर न ले जाएं ताकि वे सुरक्षित प्रसव कर सकें.
बकरी के बच्चे को जन्म देने के बाद कम से कम दो हफ्ते तक उसे आराम और पोषण की आवश्यकता होती है, इसलिए इस समय में बकरियों को बाहर चरने के लिए न भेजें.
स्वस्थ बकरियों के लिए रोजाना 6 से 7 घंटे चरना जरूरी होता है, जिससे उन्हें पर्याप्त हरी घास और पोषण मिल सके और वे स्वस्थ तथा सक्रिय रह सकें. इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.