हरियाणा किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन (सर छोटूराम) के बैनर तले किसानों ने शुक्रवार को करनाल में जोरदार प्रदर्शन किया. उनकी मांग थी कि धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले ‘साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक ड्वार्फ वायरस’ के चलते हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को 60,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए. BKU (सर छोटूराम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने कहा कि सरकार को तुरंत सर्वे करवाकर किसानों को नुकसान की भरपाई करनी चाहिए.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट की मुताबिक, किसानों ने सेक्टर-12 स्थित HSVP ग्राउंड में इकट्ठा हुए और वहां से मिनी सचिवालय तक मार्च किया. वहां उन्होंने अपनी मांगों का ज्ञापन नायब तहसीलदार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम सौंपा. प्रवक्ता मेहला ने कहा कि प्रदर्शन का नेतृत्व राज्य कोर कमेटी के सदस्य छतरपाल सिंह और जगदीप औलख ने किया. किसानों ने 15 सितंबर से धान की जल्दी खरीद शुरू करने की भी मांग रखी है.
1 सितंबर को मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करेंगे
बहादुर सिंह मेहला ने सरकार की उस नीति की आलोचना की जिसमें 5 अगस्त से पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद ही किसानों को डीएपी और यूरिया देने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले किसानों के हित में नहीं हैं और सरकार को इन्हें वापस लेना चाहिए. जगदीप औलख ने बताया कि वायरस के प्रकोप से धान की बढ़त रुक गई है, जिससे पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत खेतों का सर्वे कराकर किसानों को उचित मुआवजा दे. किसानों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने मांगें पूरी नहीं की, तो वे 1 सितंबर को कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करेंगे. इसके अलावा किसानों ने कई और अन्य मांगे भी की.
ये हैं किसानों की अन्य मांगें
- एमएसपी की गारंटी वाला कानून
- नकली बीज और कीटनाशकों पर रोक
- बेहतर सिंचाई सुविधा
- स्मार्ट मीटर हटाना
- बिजली बिलों में बढ़ोतरी वापस लेना
इन किस्मों को हो रहा ज्यादा नुकसान
बता दें कि हरियाणा के कई जिलों में धान की फसल साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक ड्वार्फ वायरस से प्रभावित हो रही है, जिससे किसान बहुत परेशान हैं. सबसे ज्यादा असर करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल और यमुनानगर जैसे प्रमुख धान उत्पादक जिलों में देखा गया है. वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह बीमारी साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) के कारण फैल रही है, जो पौधों की बढ़त को रोक देती है और फसल बौनी रह जाती है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि इस वायरस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो धान की पैदावार 80 फीसदी तक घट सकती है. इससे किसानों को नुकसान होगा. इस वायरस का असर खास तौर पर उन गैर-बासमती धान की किस्मों पर हुआ है जो अधिक उपज देने वाली हैं. खास कर PR 114, PR 131 और PR 126 किस्में इस बीमारी की चपेट में ज्यादा हैं.