बासमती चावल की आपूर्ति खतरे में, पंजाब बाढ़ के कारण दुनिया भर में बढ़ सकती है कीमतें

बाढ़ के कारण थोक बाजारों में बासमती की कीमतों में 8 से 10 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन जैसे विदेशी बाजारों में भी 5 से 7 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ सकती हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 20 Sep, 2025 | 11:46 AM

Basmati Rice: पंजाब, जिसे देश का बासमती गढ़ कहा जाता है, इस साल आई मूसलाधार बारिश और बाढ़ की मार से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. राज्य के कई इलाकों में पानी भर जाने के कारण लगभग 1.5 लाख एकड़ बासमती की फसल डूब गई. इस स्थिति ने न सिर्फ घरेलू बाजार में चिंता पैदा की है, बल्कि वैश्विक निर्यातकों के लिए भी चेतावनी का संकेत दिया है. बासमती चावल के प्रमुख निर्यातक भारत की आपूर्ति पर निर्भर रहते हैं और हर साल 40 लाख टन से अधिक बासमती चावल मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भेजा जाता है.

बासमती की कीमतों में उछाल और वैश्विक असर

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, बाढ़ के कारण थोक बाजारों में बासमती की कीमतों में 8 से 10 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन जैसे विदेशी बाजारों में भी 5 से 7 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ सकती हैं. हालांकि, यह असर केवल अस्थायी होगा, क्योंकि अधिकांश आयातक देशों के पास 3 से 6 महीने का बफर स्टॉक मौजूद होता है, जो अचानक आपूर्ति में कमी आने पर बाजार को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है.

किसानों का जज्बा और तैयारी

पंजाब के किसान सालों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते आए हैं. 1980 और 2010 की बाढ़ के बाद भी किसानों ने जल्द ही अपनी बासमती की बुवाई फिर से शुरू की और निर्यात को पुनर्जीवित किया. इस बार भी किसान-उत्पादक संगठनों की मदद और तकनीकी मार्गदर्शन से प्रभावित किसान अगले बुवाई सीजन की तैयारी में जुट गए हैं. करीब 10 लाख परिवार पंजाब और हरियाणा में बासमती की खेती पर निर्भर हैं और इनकी मेहनत और धैर्य संकट के समय में भी उम्मीद जगाता है.

सरकारी मदद और तकनीकी नवाचार

सरकार भी प्रभावित किसानों की मदद के लिए सक्रिय है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को बीमा दावे और राहत राशि प्रदान की जा रही है. इसके साथ ही, बासमती की खेती में तकनीकी नवाचार भी तेजी से अपनाए जा रहे हैं. पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय बाढ़ और जलवायु-प्रतिरोधी बासमती किस्मों पर शोध कर रहे हैं. ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फसल निगरानी और सैटेलाइट इमेजिंग से नुकसान का मूल्यांकन और रिकवरी प्रक्रिया तेज हो रही है.

आशा की किरण

बाढ़ ने भले ही बासमती की फसल को क्षति पहुंचाई हो, लेकिन किसानों की मेहनत, सरकारी सहायता और नई तकनीक ने उन्हें उम्मीद दी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बासमती की मांग सालाना 6-7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, और कुछ समय के लिए इसकी कीमतों में वृद्धि भी देखी जा सकती है. ऐसे में पंजाब के बासमती किसान फिर से अपनी पहचान और वैश्विक सप्लाई में अहम योगदान देने के लिए तैयार हैं.

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

Poll Results

गन्ना
0%
धान (चावल)
0%
बाजरा (मिलेट्स)
0%
केला
0%