इस साल खरीफ सीजन में किसानों की मेहनत पर बाढ़ और बारिश ने पानी फेर दिया है. देशभर में धान की बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ा है, लेकिन पैदावार घटने के संकेत मिल रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 में खरीफ धान का उत्पादन 120-121 मिलियन टन रह सकता है, जबकि पिछले साल यह 121.85 मिलियन टन था.
क्षेत्रफल बढ़ा, लेकिन पैदावार पर खतरा
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, धान की खेती का रकबा इस बार लगभग 5 फीसदी ज्यादा हो गया है और यह 434.13 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश, जो खरीफ धान का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, यहां 13.5 फीसदी क्षेत्रफल की बढ़ोतरी हुई है. उम्मीद है कि यूपी इस बार 21 मिलियन टन से ज्यादा धान पैदा करेगा. पिछले साल यह आंकड़ा 20.24 मिलियन टन था.
पंजाब में सबसे बड़ा नुकसान
पंजाब में हालात सबसे ज्यादा खराब बताए जा रहे हैं. यहां बाढ़ की वजह से किसानों को 20 फीसदी तक नुकसान झेलना पड़ सकता है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पंजाब का उत्पादन 1-1.5 मिलियन टन घट सकता है. कुछ विश्लेषक तो इसे 6 मिलियन टन तक का नुकसान बता रहे हैं.
दक्षिणी राज्यों से उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब का नुकसान आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों की बेहतर पैदावार से कुछ हद तक पूरा हो सकता है. कर्नाटक में धान की रोपाई लगभग पूरी हो चुकी है और सरकार ने यहां 4.64 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है.
पश्चिम बंगाल बना रिकॉर्डर
देश का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल इस साल रिकॉर्ड बनाने की ओर है. यहां अब तक 43 लाख हेक्टेयर में धान बोया जा चुका है, जो लक्ष्य 42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है. पिछले साल यहां 41.55 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी.
तेलंगाना और महाराष्ट्र में चुनौतियां
तेलंगाना में अगस्त की बारिश और यूरिया की कमी से किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है. यहां पैदावार 10-15 फीसदी तक घटने का अनुमान है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी बाढ़ से धान की फसल प्रभावित हुई है.
बासमती की पैदावार पर असर
पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने बासमती धान की पैदावार को भी नुकसान पहुंचाया है. व्यापारी मानते हैं कि इसका असर निर्यात पर पड़ सकता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की पकड़ थोड़ी कमजोर हो सकती है.
USDA का अनुमान
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) का अनुमान है कि भारत का कुल धान उत्पादन (खरीफ, रबी और ग्रीष्म मिलाकर) 151 मिलियन टन रह सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आगे मौसम सामान्य रहा तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.