दिल्ली राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में एयर क्वालिटी सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे प्रदूषण नियंत्रण अभियान के तहत आज दिल्ली‑एनसीआर क्षेत्र में दूसरा क्लाउड सीडिंग ट्रायल सफल रहा है. इसके साथ ही मयूर विहार समेत दिल्ली के कई इलाकों में बादल छाए हैं, जहां कुछ देर में क्रत्रिम बारिश (Artificial Rain) शुरू होगी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि अगर हमारे ये ट्रायल्स कामयाब हुए तो आने वाले समय में एक लॉन्ग टर्म प्लान किया जाएगा.
15 मिनट से 4 घंटे के बीच बारिश होगी
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि आज दिल्ली‑एनसीआर क्षेत्र में दूसरा क्लाउड सीडिंग ट्रायल सफल रहा है. इस ट्रायल के बाद अगले 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश की संभावना है, जिससे वायु में मौजूद प्रदूषकों के घनत्व में गिरावट आ सकती है.
तीसरा क्लाउड सीडिंग आज ही होगा
पर्यावरण मंत्री मंत्री ने कहा कि आज इसका तीसरा चरण भी जारी रहेगा. मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में ऐसे उड़ानों की श्रृंखला चलती रहेगी ताकि प्रदूषण नियंत्रित किया जा सके.
इन इलाकों में होगी बारिश
क्लाउड सीडिंग रणनीति के तहत एक सेसना विमान कानपुर से उड़ान भरकर मेरठ से दिल्ली के खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में 8 फ्लेयर छोड़े गए, जिससे लगभग 30 मिनट का कार्य पूरा हुआ. इससे इन इलाकों में बारिश होगी. यह कदम खासतौर पर उस समय उठाया गया है, जब दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई थी.
ट्रायल्स सफल होने के बाद लॉन्गटर्म सॉल्यूशन पर काम
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि आज क्लाउड सीडिंग का दूसरा ट्रायल दिल्ली में किया गया. बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग, मयूर विहार समेत अन्य कुछ इलाकों में क्लाउड सीडिंग की गई. यह प्रक्रिया करीब आधा घंटा चली. हमारा मानना है कि अगर हमारे ये ट्रायल्स कामयाब हुए तो आने वाले समय में एक लॉन्ग टर्म प्लान किया जाएगा.
कैसे होती है क्लाउड सीडिंग और कितना पैसा खर्च होगा
दिल्ली मंत्रिमंडल ने इस साल मई में प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए क्लाउड सीडिंग कराने के इरादे से 3.21 करोड़ रुपये मंजूर किए थे. इस रकम से कुल 5 क्लाउड सीडिंग ट्रायल होने हैं. वहीं, क्लाउड सीडिंग के लिए विमान के जरिए सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे रासायनिक कंपाउंड को बादलों में छोड़ जाता है, तो ये कंपाउंड कण संघनन के लिए नाभिक का काम करते हैं, जिससे पानी की बूंदें बनती हैं और बारिश के रूप में गिरती हैं.