देश के 12 राज्यों में चुनाव आयोग ने एसआईआर यानी स्पेशल समरी रिवीजन का ऐलान किया है. यह प्रक्रिया हर मतदाता के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे तय होगा कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं. अगर आपने हाल ही में घर बदला है, नया वोट बनवाना है या किसी कारण आपका नाम कट गया है-तो अब यही मौका है उसे ठीक करने का.
क्या है एसआईआर?
एसआईआर यानी Special Intensive Revision of Electoral Roll का मतलब होता है मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण. यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा हर बूथ स्तर पर की जाती है. इसमें यह जांच की जाती है कि कौन से मतदाता अब इस इलाके में नहीं रहते, किनके नाम दो बार जुड़ गए हैं, कौन से मतदाता अब जीवित नहीं हैं और किन नए मतदाताओं को जोड़ा जाना है. इसे सरल भाषा में समझें तो यह वोटर लिस्ट की सफाई और अपडेट की प्रक्रिया है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में केवल वैध और सक्रिय मतदाता ही शामिल हों.
किन 12 राज्यों में शुरू होगा एसआईआर
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार एसआईआर 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जा रहा है- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी. इन राज्यों में अगले कुछ महीनों तक चुनाव कर्मी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाएंगे.
क्यों जरूरी है ये प्रक्रिया?
चुनाव आयोग का कहना है कि पिछले कुछ सालों में शहरीकरण, पलायन, मृत्यु और नागरिकता से जुड़ी गड़बड़ियों के कारण वोटर लिस्ट में कई गलत नाम शामिल हो गए हैं. कई मतदाताओं के नाम दो जगह दर्ज हैं, तो कई मृत लोगों के नाम अब तक सूची में बने हुए हैं. इसी को ठीक करने और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ने के लिए एसआईआर जरूरी है.
कब से कब तक चलेगा एसआईआर?
चुनाव आयोग ने एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया की तारीखें तय कर दी हैं. इसके तहत 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक प्रिंटिंग और ट्रेनिंग होगी. 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक घर-घर जाकर वोटर सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद 9 दिसंबर 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी. नागरिक 8 जनवरी 2026 तक आपत्ति या दावा दर्ज करा सकेंगे. 9 दिसंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक सुनवाई और सत्यापन की प्रक्रिया चलेगी. अंत में, 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी. यानी फरवरी तक 12 राज्यों में नई वोटर लिस्ट तैयार होगी.
क्या-क्या दस्तावेज लगेंगे?
एसआईआर (Special Intensive Revision) के दौरान पहचान और पते की पुष्टि के लिए चुनाव आयोग ने कई दस्तावेज मान्य किए हैं. इनमें वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पेंशन ऑर्डर और यूनिवर्सिटी डिग्री शामिल हैं. इसके अलावा बिजली, पानी या गैस बिल को पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन इसे पहचान के वैध दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को सटीक, पारदर्शी और अद्यतन बनाना है ताकि कोई भी अवैध नाम शामिल न रहे.
बीएलओ क्या करेंगे?
हर पोलिंग बूथ पर बीएलओ (Booth Level Officer) नाम का एक अधिकारी तैनात होता है, जो मतदाता सूची के अपडेट की पूरी जिम्मेदारी संभालता है. बीएलओ का काम होता है घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा करना, नए वोटरों से फॉर्म-6 भरवाना, और पुराने मतदाताओं की स्थिति की पुष्टि करना. इसके अलावा, वह गलत या दोहराए गए नामों को हटाने का भी काम करता है. यदि कोई मतदाता घर पर मौजूद नहीं मिलता, तो बीएलओ तीन बार तक वहां जाकर सत्यापन की कोशिश करता है ताकि कोई भी वैध मतदाता सूची से छूट न जाए और रिकॉर्ड पूरी तरह सही बने.
विपक्ष के सवाल और विवाद
जहां एक ओर सरकार और चुनाव आयोग इसे लोकतंत्र की शुद्धि प्रक्रिया बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे वोटर लिस्ट से वैध नाम हटाने की साजिश कह रहा है. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों का आरोप है कि बिहार में हुई इसी तरह की प्रक्रिया में लाखों मतदाताओं के नाम गलती से हटा दिए गए. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पारदर्शिता जरूरी है ताकि किसी नागरिक का नाम गलत तरीके से सूची से न कटे. चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सभी राज्यों में प्रक्रिया पूरी तरह सार्वजनिक और पारदर्शी तरीके से होगी.
आम आदमी को क्या करना चाहिए?
अगर आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट में बना रहे, तो आपको कुछ आसान कदम उठाने होंगे. सबसे पहले, अपने इलाके के बीएलओ (Booth Level Officer) से संपर्क करें. इसके अलावा, आप ऑनलाइन www.nvsp.in वेबसाइट या Voter Helpline App के जरिए भी अपना नाम और जानकारी चेक कर सकते हैं. अगर आपका नाम सूची में नहीं है या कोई गलती दिख रही है, तो फॉर्म-6 भरकर सुधार करा सकते हैं. जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हो, तो उसे ध्यान से ज़रूर देखें ताकि कोई त्रुटि न रह जाए. यह पूरी प्रक्रिया मुफ्त और बहुत आसान है
असम को क्यों रखा गया बाहर?
असम में नागरिकता से जुड़ी एनआरसी प्रक्रिया पहले से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है. इसी कारण से वहां अभी एसआईआर लागू नहीं किया गया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि असम के लिए अलग से रिवीजन आदेश बाद में जारी होंगे. एक सटीक और पारदर्शी वोटर लिस्ट किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है. अगर मतदाता सूची में गलत नाम बने रहेंगे, तो चुनाव की साख पर सवाल उठ सकते हैं. इसलिए एसआईआर को लेकर आयोग का यह कदम सही दिशा में माना जा रहा है. अब जिम्मेदारी मतदाताओं की भी है कि वे समय पर अपने नाम की जांच करें और लोकतंत्र को मजबूत बनाएं.