कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी दूध पर मिले 5 रुपये लीटर सब्सिडी, मंत्री ने सरकार की मांग

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने नवी मुंबई में गोकुल डेयरी की नई दही प्रोसेसिंग यूनिट के उद्घाटन के दौरान दुग्ध किसानों को सब्सिडी देने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि इससे दूध उत्पादन बढ़ेगा और महाराष्ट्र डेयरी क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 14 Dec, 2025 | 07:43 AM

Maharashtra News: महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने दूध उत्पादकों को प्रति लीटर 5 रुपये की सब्सिडी दी, जिससे वहां दूध उत्पादन में बड़ी बढ़ोतरी हुई. उन्होंने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र सरकार को भी अपने दुग्ध किसानों के लिए ऐसी ही योजना अपनानी चाहिए. मुश्रीफ ये बात नवी मुंबई में गोकुल डेयरी की 15 मीट्रिक टन क्षमता वाली नई दही प्रोसेसिंग यूनिट के उद्घाटन के दौरान कही.

इस मौके पर विधान परिषद में विपक्ष के नेता और कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल भी मौजूद थे. मुश्रीफ ने कहा कि बाजार का विस्तार, गुणवत्ता में सुधार और दूध संग्रह बढ़ाना समय की जरूरत है. अगर राज्य सरकार भी दूध उत्पादकों  को सब्सिडी देती है तो डेयरी उद्योग और मजबूत होगा तो महाराष्ट्र देश में अग्रणी राज्य बन सकता है. उन्होंने कहा कि नई दही प्रोसेसिंग परियोजना अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसे नवी मुंबई के वाशी स्थित गोकुल डेयरी में स्थापित किया गया है.

आधिकारिक ब्रांड घोषित करने की मंत्री ने की मांग

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई दही प्रोसेसिंग यूनिट  का उद्घाटन मंत्री हसन मुश्रीफ और एमएलसी सतेज पाटिल ने गोकुल के चेयरमैन नाविद मुश्रीफ, बोर्ड सदस्य, मुंबई के दूध वितरक, गोकुल के अधिकारी और कर्मचारियों की मौजूदगी में किया. परियोजना के महत्व पर बात करते हुए हसन मुश्रीफ ने कहा कि गोकुल परंपरा, गुणवत्ता और भरोसे का प्रतीक है. अगर इसे राज्य का आधिकारिक ब्रांड घोषित किया जाए तो इसे और पहचान मिलेगी.

गोकुल सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि लाखों दुग्ध उत्पादकों का प्रयास है

उन्होंने कहा कि गोकुल की मजबूत विरासत, किसानों की भागीदारी, आधुनिक सुविधाएं और बड़ा उपभोक्ता आधार इसे इस दर्जे के योग्य बनाते हैं. एमएलसी सतेज पाटिल ने कहा कि गोकुल सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि लाखों दुग्ध उत्पादकों, किसानों, वितरकों, कर्मचारियों और प्रबंधन के सामूहिक प्रयास का नतीजा है. पिछले 40- 50 वर्षों में तरल दूध के क्षेत्र में बना भरोसा अब डेयरी उत्पादों तक फैल रहा है. आज के बाजार में आधुनिक डिजाइन, आकर्षक पैकेजिंग और गुणवत्ता जरूरी है और गोकुल इन सभी पर लगातार काम कर रहा है.

विकास की दिशा में एक बड़ा कदम

परियोजना की जानकारी देते हुए गोकुल के चेयरमैन नाविद मुश्रीफ ने बताया कि यह दही परियोजना  गोकुल के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है. 6 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस यूनिट की उत्पादन क्षमता 15 मीट्रिक टन है, जिससे हर महीने करीब 25 लाख रुपये की बचत होगी और गोकुल की कार्यक्षमता और बेहतर होगी.

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