इस खतरनाक रोग से काले पड़ने लगते हैं अमरूद, बरसात के दिनों में फलों का रखें खास खयाल

अगर अमरूद की फसल पर एंथ्रेक्नोज रोग का प्रभाव बहुत ज्यादा हो गया है जो साधारण उपायों से ठीक नहीं हो सकता, तो फिर फसल पर कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है.

नोएडा | Published: 31 Jul, 2025 | 03:20 PM

मॉनसून सीजन अमरूद की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी होती है क्योंकि इस मौसम में उन्हें इसकी फसल से अच्छी उपज मिलती है. लेकिन एक ओर जहां बरसात का मौसम अमरूद के लिए अच्छा होता है वहीं दूसरी ओर इस मौसम में अमरूद की फसल में लगने वाले रोग किसानों की चिंता बढ़ाते हैं. इससे न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी भारी नुकसान होता है. अमरूद की फसल में सबसे ज्यादा जिस रोग का सबसे ज्यादा खतरा होता है वो है एंथ्रेक्नोज. यह एक फफूंदजनित रोग है जो कोलेटोट्राईकम (Colletotrichum) नामक फफूंद के कारण होता है. जुलाई से सितंबर के महीने में इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इस रोग से अमरूद के फलों को बचाने के लिए बहुत जरूरी है कि किसान समय रहते इसे कंट्रोल कर लें.

क्या हैं इस रोग के लक्षण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एन्थ्रक्नोज रोग के संक्रमण के कारण अमरूद की पत्तियों पर काले या चॉकलेट रंग के अनियमित धब्बे पड़ने लगते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़कर कमजोर हो जाती हैं और आखिर में ये पत्तियां पौधे से झड़कर गिर जाती हैं. ये एक ऐसा रोग है जो बहुत जल्दी फैलता है, जिसके कारण आसपास की पत्तियां भी बहुत तेजी से संक्रमित होकर काली और भूरी होने लगती हैं. इस रोग की एक पहचान ये भी है कि इसके प्रभाव से पौधों की टहनियां काली पड़ने लगती हैं और नई कलियां फूल बनने से पहले ही कमजोर होकर गिर जाती हैं. बता दें कि , इसके प्रभाव से अमरूद के फल काले पड़ने लगते हैं.

इन उपायों से करें बचाव

अमरूद की फसल को और फलों को काला पड़ने से रोकने के लिए किसानों के लिए सबसे जरूरी है कि किसान पौधे से संक्रिमित हिस्सों को तुरंत हटाकर अलग कर दें. इसके साथ ही फसल के आसपास के इलाकों को हमेशा साफ-सुथरा रखें. पौधे को नियमित रूप से धूप और रोशनी मिल सके इसलिए समय-समय पर जरूरत के हिसाब से फसल की कटाई और छंटाई करते रहें.किसानों के लिए सलाह है कि एक बार वे फल की पूरी तुड़ाई कर लें उसके बाद, पेड़ से सूखी और रोगग्रस्त टहनियों को काटकर हटा दें. इसके अलावा किसानों के लिए जरूरी है कि वे एन्थ्रक्नोज रोग के लक्षणों की पहचान कर नियमित रूप से फसल की जांच करें. अगर फसल पर रोग का कोई भी लक्षण नजर आए तो समय रहते ही उसको रोकने का उपाय करें.

केमिकल कीटनाशकों का छिड़काव

अगर अमरूद की फसल पर एंथ्रेक्नोज रोग का प्रभाव बहुत ज्यादा हो गया है जो साधारण उपायों से ठीक नहीं हो सकता, तो फिर फसल पर कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है. इसके लिए किसान हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल नाम के फफूंदनाशी दवा का 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर इसका छिड़काव करें. बता दें कि इस दवा का पहला इस्तेमाल फूल आने के 15 दिन पहले और दूसरा छिड़काव पेड़ में पूरी तरह से फल लग जाने के बाद करना चाहिए ताकि रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सके.