विदेशी दालों की भरमार से नुकसान में भारतीय किसान, आयात पर लगाम की अपील

सरकार ने मार्च 2026 तक पीली मटर और तुअर के आयात पर कोई शुल्क न लगाने का फैसला किया है. यानी अब विदेश से इन दालों को बिना टैक्स के भारत में लाया जा सकता है.

नई दिल्ली | Updated On: 31 Jul, 2025 | 12:48 PM

भारत में दालों की खेती करने वाले किसानों के सामने इस वक्त बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. कनाडा और रूस से भारी मात्रा में सस्ती पीली मटर (Yellow Peas) और तुअर (अरहर) दाल के आयात से देश के बाजारों में दालों की कीमतें तेजी से गिर रही हैं. इससे किसान न सिर्फ आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को भी झटका लगा है.

क्या है मामला?

सरकार ने मार्च 2026 तक पीली मटर और तुअर के आयात पर कोई शुल्क न लगाने का फैसला किया है. यानी अब विदेश से इन दालों को बिना टैक्स के भारत में लाया जा सकता है. इस फैसले का असर यह हुआ कि देश के बंदरगाहों पर रूस और कनाडा से आई पीली मटर की खेपें जमा हो गई हैं, और बाजार में दालों की कीमतें लुढ़क गई हैं.

किसानों की अपील

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, एग्री फार्मर एंड ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार बलदेवा ने कहा है कि सरकार को सस्ती दालों के आयात पर तुरंत रोक लगानी चाहिए. उनका कहना है कि जब तक किसान को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा, वह दालों की खेती करने के लिए प्रेरित नहीं होगा. इससे उत्पादन घटेगा और भारत आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा.

क्या पड़ा असर?

चना: 8,000 रुपये से घटकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल

तुअर: 11,000 रुपये से घटकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल

पीली मटर: 4,100 रुपये से घटकर 3,250 रुपये प्रति क्विंटल

इतनी बड़ी गिरावट ने किसानों की कमर तोड़ दी है. स्थिति यह है कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे दालों के दाम पहुंच गए हैं.

खेती पर असर

हालांकि इस साल देश में सामान्य मानसून रहा है, लेकिन इसके बावजूद तुअर (अरहर) की बुवाई में गिरावट देखने को मिली है. 2024 में जहां 37.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तुअर की बुवाई हुई थी, वहीं 2025 में यह घटकर 34.90 लाख हेक्टेयर रह गई है. यह करीब 8 फीसदी की कमी है.

इससे साफ है कि किसान अब तुअर की खेती से धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं. इसका एक कारण फसल की कम कीमत, उत्पादन जोखिम और आयातित दालों से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा हो सकती है.

आत्मनिर्भरता पर संकट

भारत भले ही दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश हो, लेकिन फिर भी हमें अपनी जरूरत की पूर्ति के लिए विदेशों से दालें मंगानी पड़ रही हैं. यह स्थिति आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर सवाल खड़े करती है. साल 2024 में भारत ने रिकॉर्ड 66.3 लाख टन दालों का आयात किया, जो 2023 की तुलना में लगभग दोगुना है. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा पीली मटर का रहा, जो कुल आयात का लगभग 45 फीसदी रहा.

यह आंकड़े दिखाते हैं कि देश में दाल उत्पादन बढ़ाने और किसानों को प्रोत्साहित करने की सख्त जरूरत है, ताकि विदेशों पर निर्भरता कम की जा सके.

Published: 31 Jul, 2025 | 12:45 PM