महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को बिचौलियों और अनियमित व्यापार से बचाने के लिए एक अहम फैसला लिया है. कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब कोई भी व्यापारी राज्य के किसानों से सीधे फसल नहीं खरीद सकेगा जब तक उसके पास सरकार की अनुमति नहीं होगी.
इसका मतलब यह है कि अगर कोई निजी व्यापारी किसानों से धान, गेहूं, फल, सब्जी, कपास या अन्य कोई भी कृषि उत्पाद खरीदना चाहता है, तो उसे सबसे पहले राज्य की मार्केटिंग कमेटी या मार्केटिंग निदेशक से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा. सरकार ने इस लाइसेंस को “सिंगल यूनिफाइड लाइसेंस” नाम दिया है, जिसकी मदद से व्यापारी पूरे देश में कृषि व्यापार कर सकेंगे. सरकार का मानना है कि इस फैसले से कृषि उपज की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिल सकेंगे.
इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने मार्केटिंग निदेशक के अंतर्गत एक नया “कैडर” भी मंजूर किया है, जिसमें मार्केटिंग कमेटी सचिवों की एक स्थायी टीम बनाई जाएगी जो मंडियों में कामकाज की निगरानी करेगी.
मंडियों को eNAM पोर्टल से जोड़ा जाएगा
कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) योजना को अब जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा. इस योजना के तहत महाराष्ट्र की 133 कृषि उपज मंडियों (APMCs) को eNAM पोर्टल से जोड़ा जाएगा. इससे किसान अपनी उपज को डिजिटल रूप से पूरे देश में बेच सकेंगे, जिससे उन्हें अच्छे दाम मिलने की संभावना बढ़ेगी और मंडी में दलालों पर निर्भरता घटेगी.
यह फैसला राज्य में कृषि व्यापार को संगठित करने, किसानों को सशक्त बनाने और मंडी व्यवस्था को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.