भुट्टे से आगे इथेनॉल, दवा, पोल्ट्री तक.. मक्का की खेती पर सीएम योगी का बड़ा निर्णय

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मक्का उत्पादन को 2027 तक दोगुना करने का संकल्प लिया है और इसके लिए किसानों को उन्नत खेती की दिशा में प्रेरित किया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य मक्के के उत्पादन को 14.67 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचाना है.

नोएडा | Updated On: 6 May, 2025 | 02:36 PM

अब भुट्टा सिर्फ भूनकर खाने की चीज नहीं, किसानों की किस्मत बदलने वाला अनाज बनने जा रहा है. यूपी में योगी सरकार ने मक्के की खेती को मिशन मोड में डाल दिया है. 2027 तक उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है. पहले दलहन-तिलहन में डबल ग्रोथ का टारगेट पूरा हुआ, अब बारी है मक्के की. सरकार मक्का बोने के लिए किसानों को न केवल प्रेरित कर रही है बल्कि एमएसपी पर खरीदी की गारंटी भी दे रही है. इथेनॉल से लेकर पोल्ट्री फीड, औषधियों और पापकॉर्न तक, मक्के की बढ़ती डिमांड इसे कमाई की फसल बना रही है.

उत्तर प्रदेश की खेती को नया आयाम देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब मक्का को केंद्र में रखा है. सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक मक्के का उत्पादन दोगुना कर दिया जाए. इसी कड़ी में बीते दिनों लखनऊ में हुई खरीफ गोष्ठी में कृषि मंत्री ने किसानों से मक्का, अरहर और सरसों की खेती बढ़ाने की अपील की. सरकार के मुताबिक, 2021-22 में प्रदेश में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन रहा. अगले दो साल में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचाने की योजना है. यानी न सिर्फ रकबा बढ़ेगा, बल्कि उत्पादन क्षमता यानी पैदावर पर भी खासा फोकस रहेगा.

मक्का बनी किसानों की नई ताकत

मक्का एक ऐसी फसल है जिसे खरीफ, रबी और जायद, तीनों सीजन में उगाया जा सकता है. चाहे रेतीली भूमि हो या काली मिट्टी, बस जल निकासी का इंतजाम हो, मक्का हर जगह पनप सकता है. यही वजह है कि किसानों को मक्का की खेती खूब रास आ रही है. मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल मिलते हैं. इन्हीं खूबियों के नाते इसे अनाजों की रानी कहा गया है.

यूपी अब भी पीछे

देश में मक्के की औसत उपज 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 21.63 क्विंटल है. वहीं तमिलनाडु जैसे राज्य प्रति हेक्टेयर 59.39 क्विंटल तक उपज ले रहे हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाए तो यह उपज 100 क्विंटल तक जा सकती है.

बेहतर मांग से किसानों को मिलेंगे अच्छे दाम

मक्का बहुपयोगी फसल है और इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. सरकार चाहती है कि इस बढ़ती मांग का सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिले. इसके लिए किसानों को मक्का की उन्नत खेती के तौर-तरीकों की जानकारी दी जा रही है और उन्हें इस फसल की ओर आकर्षित किया जा रहा है. सबसे अहम बात ये है कि मक्का अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे में है, जिससे किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम मिल सकेगा. यह कदम मक्का उत्पादकों के लिए राहत और मुनाफे दोनों का रास्ता खोलता है.

भुट्टे से आगे.. अब इथेनॉल, दवा और पोल्ट्री तक मक्के की पूछ

आज मक्का सिर्फ खाने का हिस्सा नहीं है. इसका इस्तेमाल इथेनॉल बनाने, पशु और पोल्ट्री आहार, दवाओं, पेपर और एल्कोहल इंडस्ट्री तक में हो रहा है. यही वजह है कि मक्के की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है और इसके साथ ही किसानों को अच्छे दाम मिलने की भी संभावना है.

मक्का बोआई का सही वक्त, सही तरीका

खरीफ सीजन की मक्का बोआई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक का समय सबसे उपयुक्त माना गया है. कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार (गोरखपुर) के प्रभारी डॉ. एसके तोमर बताते हैं कि अगर सिंचाई की सुविधा हो तो मई के दूसरे या तीसरे हफ्ते में भी इसकी बोआई की जा सकती है. इससे पौधे मानसून से पहले मजबूत हो जाएंगे और बारिश की मार से बच सकेंगे. अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ 8 किलो बीज लगाएं, लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधों के बीच 20 सेमी रखें. अगर सुविधा हो तो बेड प्लांटर का इस्तेमाल जरूर करें.

Published: 6 May, 2025 | 02:27 PM