खीरे के पत्तों पर पाउडरी और डाउनी फफूंदी का प्रभाव पड़ सकता है. यह दोनों फफूंदियां पत्तियों की सतह पर फैलकर उनकी हरियाली कम कर देती हैं और पत्तों को भूरा बना देती हैं.
ककड़ी बीटल पत्तियों में छेद कर देती हैं, जिससे पत्तियां सूखने लगती हैं. समय पर नियंत्रण न करने पर यह पौधों की वृद्धि और फसल की गुणवत्ता पर गंभीर असर डाल सकती हैं.
मिट्टी में पर्याप्त पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस की कमी पत्तियों पर भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देती है. पौधों की बढ़वार और उत्पादन पर भी इसका नकारात्मक असर होता है.
ये छोटे कीट पत्तियों की नमी और रंग पर असर डालते हैं. पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे और सूखापन दिखाई देता है, जिससे पौधों की स्वास्थ्य क्षमता कमजोर हो जाती है.
खीरे के पौधे फंगल संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं. कुकुर्बिट एन्थ्राक्नोज जैसे फंगल रोग पत्तियों पर भूरे दाग छोड़ते हैं और पत्तियों के जल्दी गिरने का कारण बन सकते हैं.
पत्तों का भूरा होना शुरुआती चेतावनी संकेत है. इसे समय रहते पहचानकर फफूंदी नियंत्रण, कीट नियंत्रण और पोषण सुधार जैसी सावधानियां अपनाना फसल को नुकसान से बचाने के लिए जरूरी है.