Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है. हिमाचल के इतिहास में पहली बार किसानों और ग्रामीण परिवारों की आर्थिक सशक्तिकरण के लिए साहसिक और निर्णायक कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है जिसने प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया. प्राकृतिक मक्का और गेहूं के MSP को क्रमशः 30 रुपये और 40 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर अब 40 रुपये और 60 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है. इसके अलावा, पांगी घाटी में उगाए गए कच्चे हल्दी और जौ का MSP क्रमशः 90 रुपये और 60 रुपये प्रति किलो तय किया गया है. साथ ही फलों के समर्थन मूल्य में भी पर्याप्त वृद्धि की गई है.
38,437 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए कई सुविधाजनक योजनाओं का पूरा ढांचा बनाया गया है, जिससे वे प्राकृतिक खेती की ओर आसानी से बढ़ सकें. इसके तहत अब तक राज्य में करीब 2,22,893 किसान और बागवान लगभग 38,437 हेक्टेयर क्षेत्र में पूरी या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं. उन्होंने कहा कि 15 अप्रैल को चंबा जिले के आदिवासी पांगी उप-जनपद को आधिकारिक तौर पर प्राकृतिक खेती उप-जनपद घोषित किया गया. यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ औषधीय जड़ी-बूटियों की प्राकृतिक खेती भी कर रहे हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल कृषि में उनकी प्रतिबद्धता दिखाती है.
इन फसल की कीमत में बढ़ोतरी की
सुखू ने यह भी कहा कि राज्य की लगभग 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और करीब 53.95 फीसदी लोग सीधे खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक खेती की उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया. साथ ही सेब के बागवानों के लिए यूनिवर्सल कार्टन की घोषणा की गई. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लक्षित सब्सिडी योजनाएं चलाईं और किसानों को अतिरिक्त आय देने के लिए गोबर खरीदने जैसी नई पहल शुरू हुई. इन कदमों का उद्देश्य ग्रामीण जनता को अधिक लाभ पहुंचाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.
11.44 लाख रुपये का भुगतान
मुख्यमंत्री ने कहा कि भुगतान सीधे किसानों के खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और सुविधा बनी रहती है. इसके तहत 399 मीट्रिक टन प्राकृतिक मक्का की खरीद के लिए 1 करोड़ रुपये और 2,123 क्विंटल गेहूं की खरीद के लिए 1.32 करोड़ रुपये सीधे खातों में जमा किए गए. छह जिलों में 127 क्विंटल कच्ची हल्दी के लिए 11.44 लाख रुपये का भुगतान किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कदम सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं कि हिमाचल को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जाए और राज्य को सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेती में अग्रणी बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ाया जाए.