विदेशियों का स्वाद बढ़ाएगा बनारसी लंगड़ा आम, किसानों के लिए बना मुनाफे का नया रास्ता

बनारसी लंगड़ा आम अब यूरोपीय और खाड़ी देशों को निर्यात किया जाएगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी. इस आम की खासियत मिठास, रेशे रहित गूदा और सुगंध इसे विश्व बाजार में अलग पहचान दिलाएंगी.

नोएडा | Updated On: 14 May, 2025 | 03:40 PM

बनारस के लंगड़ा आम अपनी खास मिठास, रेशे रहित गूदे और सुगंध के कारण न सिर्फ देश में बल्कि अब विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहा है. बनारसी लंगड़ा आम को अप्रैल 2023 में जीआई टैग मिल चुका है. यह आम अब केवल खेतों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह यह आम यूरोपीय और खाड़ी देशों की मार्केट में भी दस्तक देने जा रहा है. इसे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा, उनकी आय बढ़ेगी और काशी का नाम एक बार फिर पूरे विश्व में आम के जरिये चमकेगा.

यूरोप और खाड़ी देशों में 10 टन निर्यात की तैयारी

बनारसी लंगड़ा आम की 10 टन की खेप यूरोप और खाड़ी देशों में भेजने की तैयारी जोरों पर है. जून के पहले हफ्ते से ही इसकी निर्यात शुरू कर दी जाएगी. जिसे किसानों को अपनी उपज की अच्छी दाम भी मिल सकेंगे. इसके साथ ही बनारस जिला प्रशासन ने बनारसी लंगड़ा आम की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर भी जोर देते हुए इसके सभी पैकेज पर जीआई टैग भी लगाया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी काशी के अधिकृत जीआई उत्पादकों को सौंपी गई है. जिससे विदेशों में भी इसकी अलग पहचान बन सके.

बनारस के अलावा इन जिलों में खूब पैदावार

लंगड़ा आम की उत्पत्ति बनारस की पावन भूमि से हुई थी, और अब इस आम की खेती उत्तर प्रदेश के वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर और बलिया जैसे जिलों में की जाती है. इस आम की खास बात यह हैं की इसके के छिलके पतले होने के साथ पीले नहीं होते बल्कि हरे ही रह जाते हैं. जहां बाकी आम पकने पर पीले या लाल हो जाते हैं. वहीं, यह आम रेशे रहित और छोटे बीज का होता है. खट्टे-मीठे स्वाद के साथ यह डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं. क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बेहद कम होती है. यही वजह है कि इसकी पहचान बाकी आमों से बिलकुल अलग होती है.

बागवानों को सालाना 20-30 फीसदी का रिटर्न

इसकी फसल जून के मध्य से जुलाई के अंत तक तैयार हो जाती है. वहीं बढ़ती मांग और प्रीमियम कीमत किसान और निवेशक दोनों के लिए बेस्ट मानी जा रही हैं. अगर सही देखरेख और तकनीक से खेती की जाए, किसानों को 5 से 7 वर्षों में यह आम सालाना 20-30 फीसदी का रिटर्न दे सकता है. यह किस्म कम देखरेख में अच्छा उत्पादन देती है.

Published: 14 May, 2025 | 03:36 PM