बेमौसम बारिश से टूटी किसानों की कमर, अब सरकार देगी मुआवजा

अप्रैल में आई बारिश ने राज्य के 1,174 गांवों को प्रभावित किया, जिसमें लगभग 794 हेक्टेयर फसलें नष्ट हुईं. केले, संतरे, पपीते, प्याज और गेहूं की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 31 May, 2025 | 03:57 PM

अप्रैल और मई के महीने किसानों के लिए आमतौर पर फसलों की कटाई और थोड़ी राहत का समय होता है. लेकिन इस बार महाराष्ट्र के हजारों किसान उन बदलते मौसम की मार से टूट गए, जिसकी न तो भविष्यवाणी की गई थी और न ही तैयारी की गई थी. बेमौसम बारिश और तेज आंधियों ने उनकी फसलें, घर और मवेशी तक छीन लिए. अब राज्य सरकार ने भरोसा दिलाया है कि हर प्रभावित किसान को मुआवजा दिया जाएगा, ताकि वे फिर से अपने जीवन को पटरी पर ला सकें.

राजस्व मंत्री का ऐलान, मुआवजा मिलेगा सभी को

राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने साफ किया है कि सरकार किसानों को अकेला नहीं छोड़ेगी. उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश और आंधियों से जिन किसानों की फसल, संपत्ति या मवेशियों को नुकसान हुआ है, उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा मिलेगा. इस संबंध में पूरे राज्य में नुकसान के पंचनामे कराए जा रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट मुंबई सचिवालय को भेजी जा रही है. सरकार ने मुआवजे की प्रक्रिया को “शीर्ष प्राथमिकता” के तहत आगे बढ़ाने का फैसला लिया है.

कितना और कहां हुआ नुकसान?

अप्रैल में आई बारिश ने राज्य के 1,174 गांवों को प्रभावित किया, जिसमें लगभग 794 हेक्टेयर फसलें नष्ट हुईं. केले, संतरे, पपीते, प्याज और गेहूं की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. इस दौरान करीब ₹2.83 करोड़ का नुकसान आंका गया. मई महीने में स्थिति और भी गंभीर हो गई. इस दौरान 325 गांवों में 13,639 हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हुईं. इस बार मूंग, तिल, नींबू, ज्वार जैसी फसलें भारी बारिश और तूफानों की शिकार बनीं.

घर, जान और मवेशियों का नुकसान भी शामिल

केवल खेत ही नहीं, कई किसानों के मकानों और पशुओं को भी नुकसान हुआ है. अप्रैल में 18 मकान आंशिक रूप से टूट गए और एक मकान पूरी तरह ढह गया. वहीं मई में स्थिति और बदतर रही जहां 741 घर और कई पशु आश्रय क्षतिग्रस्त हो गए. इस दौरान तीन लोगों की मौत बिजली गिरने से हो गई और 29 छोटे व 12 बड़े मवेशी भी इन तूफानों की चपेट में आकर मारे गए. सरकार ने मृतकों के परिवारों को अनुग्रह राशि और पशुपालकों को सहायता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

प्रशासन को मिले सख्त निर्देश

राजस्व मंत्री ने अमरावती दौरे के दौरान जिला अधिकारियों और मंडलायुक्तों को निर्देश दिए कि वे इस राहत प्रक्रिया को गंभीरता से लें और किसी भी स्तर पर देरी न हो. उन्होंने कहा कि “समय पर मदद सबसे जरूरी है. सरकार की मंशा है कि हर पीड़ित को उसका हक बिना रुकावट मिले.”

सरकार की कोशिश, भरोसे की उम्मीद

राज्य सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया है कि कोई भी किसान, गृहस्वामी या पशुपालक छूटेगा नहीं. प्रशासन युद्धस्तर पर काम कर रहा है ताकि हर मुआवजे की मांग समय पर निपटाई जा सके. यह राहत राशि सिर्फ आर्थिक सहारा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और जिम्मेदार सरकार का संकेत है, जो आपदा में भी अपने नागरिकों के साथ खड़ी रहती है.

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