Cotton Farmers: तमिलनाडु में वेस्ट कॉटन की कीमत बढ़ने के कारण ओपन-एंड (OE) स्पिनिंग मिलों ने रविवार से अपना उत्पादन रोक दिया. यह वेस्ट कॉटन, स्पिनिंग मिलों से खरीदा जाने वाला कच्चा माल होता है. इससे पहले OE मिलों के संगठन ने घोषणा की थी कि कई यूनिट्स उत्पादन 50 फीसदी तक घटाएंगी और कुछ मिलें पूरी तरह बंद हो जाएंगी. मिल संचालकों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में वेस्ट कॉटन की कीमत 14 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है, जिसके चलते मिल चलाना घाटे का सौदा बन गया है. तमिलनाडु के कोयंबटूर, तिरुप्पूर, इरोड, सेलम, करूर, मदुरै और विरुधुनगर में करीब 600 ओपन-एंड मिलें हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ओपन-एंड स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन (OSMA) के अध्यक्ष जी. अरुलमोझी ने कहा कि तमिलनाडु की लगभग 600 OE मिलें रोजाना करीब 25 लाख किलो ग्रे कॉटन यार्न और 15 लाख किलो रंगीन यार्न का उत्पादन करती हैं. लेकिन कॉटन वेस्ट की कीमत बढ़ने और सूत व कपास के दाम गिरने से मिलों को भारी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पादन 50 फीसदी घटाने का फैसला तब तक के लिए है, जब तक बाजार की स्थिति बेहतर नहीं होती और मिलें दोबारा मुनाफे में नहीं आतीं.
कपास की कीमत में भारी गिरावट
उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर में कपास की कीमत 60,000 रुपये प्रति कैंडी थी, जो दिसंबर में घटकर 53,500 रुपये रह गई. इसके बावजूद कॉटन वेस्ट, जैसे कॉम्बर नोइल, की कीमत 100 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 113 रुपये प्रति किलो हो गई. वहीं ओपन-एंड यार्न के दाम भी गिर गए हैं. 20s वेफ्ट यार्न 150 रुपये से घटकर 140 रुपये प्रति किलो और 20s वार्प यार्न 165 रुपये से घटकर 158 रुपये प्रति किलो रह गया है.
मिलें सिर्फ 50 फीसदी क्षमता पर चल रही हैं
उन्होंने कहा कि ग्रे यार्न बनाने के लिए मिलें कॉटन वेस्ट पर निर्भर होती हैं, लेकिन कच्ची कपास सस्ती होने के बावजूद वेस्ट कॉटन के दाम 15 रुपये प्रति किलो तक बढ़ने से मुनाफा पूरी तरह खत्म हो गया है. इसी कारण कई मिलें सिर्फ 50 फीसदी क्षमता पर चल रही हैं या पूरी तरह बंद हो गई हैं. अगर उत्पादन पूरी तरह रुका रहा तो रोजाना 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो सकता है, जिसका असर पावरलूम और हथकरघा उद्योग पर भी पड़ेगा.
100 फीसदी तक उत्पादन रोक दिया गया
रीसायकल टेक्सटाइल फेडरेशन के अध्यक्ष एम. जयबाल ने कहा कि सरकार द्वारा आयात शुल्क घटाने के बाद कपास की कीमत प्रति कैंडी 6,000 रुपये तक गिर गई है, लेकिन पिछले तीन महीनों में वेस्ट कॉटन के दाम 14 रुपये प्रति किलो बढ़ गए हैं. इस असामान्य बढ़ोतरी की वजह से ओपन-एंड मिलें पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं. नुकसान से बचने के लिए रविवार से 50 फीसदी से 100 फीसदी तक उत्पादन रोक दिया गया है. उन्होंने साफ कहा कि जब तक वेस्ट कॉटन की कीमत कम से कम 10 रुपये प्रति किलो नहीं घटती, तब तक मिलें दोबारा पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू नहीं करेंगी.