MSP का नहीं मिल रहा लाभ, 1500 रुपये क्विंटल धान बेचने को मजबूर हुए किसान

ओडिशा में मंडियों के खुलने में देरी से किसान MSP से काफी कम दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं. आंध्र प्रदेश के व्यापारी सीधे खेतों से धान खरीद रहे हैं. टोकन में देरी और अव्यवस्था के कारण कई जिलों में किसानों का विरोध भी तेज हो गया है.

Kisan India
नोएडा | Published: 23 Dec, 2025 | 06:00 PM
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Odisha News: ओडिशा के तटीय और दक्षिणी जिलों में मंडियों के खुलने में देरी होने से आंध्र प्रदेश और आसपास के राज्यों के व्यापारियों को बड़ा फायदा मिल रहा है. ये व्यापारी एमएसपी से काफी कम रेट पर सीधे किसानों के खेतों से धान खरीद रहे हैं. दरअसल, राज्य के सात पश्चिमी जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों में धान की कटाई तेजी से चल रही है. मंडी खुलने में देरी के कारण किसान मजबूरी में धान को 1,500 रुपये से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल में बेच रहे हैं, जो सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से 40 प्रतिशत से भी कम है. कई किसान, जो MSP पर बेचने के लिए पंजीकृत हैं, वे भी खरीद केंद्र खुलने का इंतजार नहीं कर पा रहे.

किसानों का कहना है कि टोकन जारी करने में देरी, मंडी कर्मचारियों की परेशानी और राइस मिलरों द्वारा धान उठाव में अनियमितता के कारण उन्हें निजी व्यापारियों को धान बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बालासोर के प्रदीप गिरी, पुरी के बिपिन खटाई, गंजाम के गणेश नायक और बलांगीर के मन्मथ राउत जैसे कई किसानों ने भी अपने-अपने जिलों में निजी व्यापारियों को धान बेचने की बात  कही है. कोरापुट, गजपति, गंजाम, बालासोर और पुरी से मिली जानकारी के अनुसार, आंध्र प्रदेश के व्यापारी बालासोर में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर गंजाम में 1,900 रुपये प्रति क्विंटल तक के दाम पर धान खरीद रहे हैं.

छोटे किसान व्यापारी को बेच रहे उपज

सूत्रों के मुताबिक, पश्चिमी ओडिशा के किसानों को टोकन जारी करने और धान खरीद में देरी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसी वजह से सोनपुर जिले के किसानों ने रविवार को लगातार तीसरे दिन बिनिका-बरपाली मुख्य सड़क को जाम कर प्रदर्शन किया. एक राइस मिलर ने नाम न छापने की शर्त पर माना कि ज्यादा नमी वाला धान निजी व्यापारियों को बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि छोटे किसान  धान को और सुखाने या मंडी के मानकों के अनुसार तैयार करने में समय और मेहनत नहीं लगाना चाहते. इसलिए वे एक-दो महीने टोकन का इंतजार करने के बजाय सीधे व्यापारियों को धान बेचना ज्यादा बेहतर समझते हैं. उनका दावा है कि आंध्र प्रदेश के व्यापारी ओडिशा से धान खरीदकर उसे अपने राज्य की मिलों को बेचते हैं, जहां से वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चला जाता है.

सुंदरगढ़ में 20 दिसंबर से खरीद शुरू हुई

वहीं, सुंदरगढ़ जिले में धान की सरकारी खरीद धीमी रफ्तार से शुरू हुई है. पंजीकरण से कई किसानों के बाहर रहने और मजबूरी में कम दाम पर धान बेचने के आरोप भी लग रहे हैं. अभी जिले में बहुत कम मंडियां खुली हैं, जिस वजह से खरीद प्रक्रिया सुस्त बनी हुई है. खरीफ विपणन सीजन 2025- 26 के लिए धान खरीद की शुरुआत 15 दिसंबर को बोनाई उपखंड में प्रतीकात्मक रूप से हुई थी, जबकि पानपोष और सुंदरगढ़ में 20 दिसंबर से खरीद शुरू हुई. फिलहाल सिर्फ 15 मंडियां ही काम कर रही हैं, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि एक हफ्ते में व्यवस्था सुधर जाएगी.

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