धान किसानों को नहीं मिल रहा MSP का लाभ, 1400 रुपये क्विंटल उपज बेचने को मजबूर हुए अन्नदाता

आंध्र प्रदेश में किसान धान को एमएसपी से कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं. नमी जांच, बोरे, परिवहन और तौल में देरी के कारण खरीद प्रक्रिया ठप पड़ गई है. निजी मिलर मनमाने दाम तय कर रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है और प्रति गांव करोड़ों का घाटा बताया जा रहा है.

Kisan India
नोएडा | Published: 5 Dec, 2025 | 12:46 PM

Paddy Procurement: आंध्र प्रदेश में धान किसनों को न्यूमतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ नहीं मिल रहा है. वे MSP से बहुत कम कीमतों पर धान बेचने को मजबूर हो गए हैं. ऐसे केंद्र सरकार नेसामान्य धान के लिए 2,369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिए 2,389 रुपये प्रति क्विंटल MSP घोषित किया है. वहीं,  किसान संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि धान की खरीद तुरंत घोषित एमएसपी पर शुरू की जाए और खरीद प्रक्रिया बिना देरी के सुचारू रूप से चले. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नमी की जांच, ट्रांसपोर्ट ट्रक, बोरे और वजन तौलने की व्यवस्था समय पर की जाए, ताकि कटे हुए धान को बिना नुकसान के मिलों तक भेजा जा सके. कृष्णा, गुंटूर और NTR जिलों के किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिकायत की कि सरकार की घोषणाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं और जमीन पर अमल बेहद खराब है. किसानों ने कहा कि हेल्पलाइन और त्वरित समाधान की बातें होने के बावजूद वास्तविक स्थिति बिल्कुल अलग है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, चल्लापल्ली के एक बटाईदार किसान वक्का रामचंद्र राव ने कहा कि धान सिर्फ 1,400 से 1,470 रुपये प्रति क्विंटल में खरीदा जा रहा है, जो एमएसपी से काफी कम है और इसका कारण धान में अधिक नमी  बताया जा रहा है. कटूर गांव की एनी सुब्बाराव ने कहा कि हार्वेस्टिंग मशीनें कम होने की वजह से किसानों को बहुत ज्यादा किराया देना पड़ रहा है और मजबूरी में फसल को कम दाम पर बेचना पड़ रहा है.

एमएसपी से कम दाम पर धान बेच रहे किसान

उंदावल्ली के बटाईदार किसान इसहाक ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाला धान भी उन्हें जबरदस्ती 1,400 रुपये में बेचना पड़ा. चिर्रावूर के सुब्बाराव ने आरोप लगाया कि खरीद प्रक्रिया बेहद धीमी है और हाल ही में आए चक्रवात की बारिश  के कारण किसान अपनी उपज औने- पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो गए. उनका कहना है कि अधिकारी बोरे और ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने से मना कर रहे हैं और जानबूझकर धान की तौल में देरी कर रहे हैं. विजयवाड़ा ग्रामीण मंडल के पल्ले कृष्णा और श्रीनिवास रेड्डी ने भी आरोप लगाया कि किसानों को कम कीमत पर फसल बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

किसानों को 70 लाख रुपये का नुकसान

टेनेंट फार्मर्स एसोसिएशन के राज्य महासचिव एम. हरिबाबू ने बताया कि मोवा मंडल में भी किसान इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं. उनके अनुसार, खरीद केन्द्रों का स्टाफ नमी के मानक ठीक से समझा भी नहीं पा रहा और किसानों को सीधे प्राइवेट मिलों में भेज दिया जा रहा है, जहां मिलर अपने मन से दाम तय कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कलेक्टर, जॉइंट कलेक्टर, RDO, तहसीलदार और सिविल सप्लाई  अधिकारियों को कई बार जानकारी देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. किसान मजबूर होकर 1,470 रुपये प्रति क्विंटल में धान बेच रहे हैं, जिससे उन्हें प्रति बोरी 200 से 300 रुपये का नुकसान हो रहा है. लगभग 1,000 एकड़ वाले एक गांव में कुल नुकसान 70 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है बैठक में वरिष्ठ नेता वाई. केसव राव, जोन्ना शिव शंकर और अन्य लोग भी मौजूद रहे.

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