Dairy Farming: कम खर्च, ज्यादा दूध! किसानों के लिए ‘सफेद सोना’ है ये गाय, 2200 लीटर तक दे सकती है दूध!

Dairy Farming Tips: पशुपालन आज सिर्फ आजीविका नहीं, बल्कि मुनाफे का मजबूत जरिया बन चुका है. लेकिन सही नस्ल का चुनाव न हो, तो मेहनत के बावजूद फायदा नहीं मिल पाता. ऐसे में एक ऐसी देसी गाय है, जिसे किसान प्यार से “दुधारू सोना” भी कहते हैं. कम खर्च, ज्यादा दूध और हर मौसम में टिकाऊ. अगर आप भी डेयरी से स्थायी कमाई चाहते हैं, तो इस नस्ल के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है.

Isha Gupta
नोएडा | Published: 23 Dec, 2025 | 06:45 AM
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1 / 6थारपारकर गाय को पशुपालक ‘दुधारू सोना’ इसलिए कहते हैं क्योंकि यह नियमित और स्थिर दूध उत्पादन देती है. कम देखभाल और कम खर्च में यह लंबे समय तक अच्छा रिटर्न देती है, जिससे पशुपालकों की आय लगातार बनी रहती है.

थारपारकर गाय को पशुपालक ‘दुधारू सोना’ इसलिए कहते हैं क्योंकि यह नियमित और स्थिर दूध उत्पादन देती है. कम देखभाल और कम खर्च में यह लंबे समय तक अच्छा रिटर्न देती है, जिससे पशुपालकों की आय लगातार बनी रहती है.

2 / 6इस नस्ल की सबसे बड़ी ताकत इसकी सहनशक्ति है. थारपारकर गाय तेज गर्मी, लू और सर्द मौसम को आसानी से झेल लेती है. यही वजह है कि यह राजस्थान जैसे गर्म इलाकों से लेकर यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक सफलतापूर्वक पाली जा रही है.

इस नस्ल की सबसे बड़ी ताकत इसकी सहनशक्ति है. थारपारकर गाय तेज गर्मी, लू और सर्द मौसम को आसानी से झेल लेती है. यही वजह है कि यह राजस्थान जैसे गर्म इलाकों से लेकर यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक सफलतापूर्वक पाली जा रही है.

3 / 6थारपारकर गाय प्रतिदिन औसतन 15 से 18 लीटर दूध देती है. एक ब्यांत में इसका दूध उत्पादन 1500 से 2200 लीटर तक पहुंच सकता है, जो इसे देश की बेहतर देशी नस्लों में शामिल करता है.

थारपारकर गाय प्रतिदिन औसतन 15 से 18 लीटर दूध देती है. एक ब्यांत में इसका दूध उत्पादन 1500 से 2200 लीटर तक पहुंच सकता है, जो इसे देश की बेहतर देशी नस्लों में शामिल करता है.

4 / 6इस गाय का रंग आमतौर पर सफेद या हल्का धूसर होता है. पीठ पर आसमानी रंग की हल्की धारियां, चौड़े कान, मध्यम आकार का सिर और लंबी पतली पूंछ इसकी अलग पहचान बनाते हैं, जिससे इसे दूर से ही पहचाना जा सकता है.

इस गाय का रंग आमतौर पर सफेद या हल्का धूसर होता है. पीठ पर आसमानी रंग की हल्की धारियां, चौड़े कान, मध्यम आकार का सिर और लंबी पतली पूंछ इसकी अलग पहचान बनाते हैं, जिससे इसे दूर से ही पहचाना जा सकता है.

5 / 6थारपारकर गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. यह दूसरी नस्लों की तुलना में कम बीमार पड़ती है, जिससे दवाइयों और पशु चिकित्सक पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है.

थारपारकर गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. यह दूसरी नस्लों की तुलना में कम बीमार पड़ती है, जिससे दवाइयों और पशु चिकित्सक पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है.

6 / 6इस नस्ल की खास बात यह है कि इसे किसी महंगे या खास चारे की जरूरत नहीं होती. सामान्य हरा चारा, सूखा भूसा और संतुलित आहार पर भी यह अच्छी सेहत और दूध उत्पादन बनाए रखती है, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से पाल सकते हैं.

इस नस्ल की खास बात यह है कि इसे किसी महंगे या खास चारे की जरूरत नहीं होती. सामान्य हरा चारा, सूखा भूसा और संतुलित आहार पर भी यह अच्छी सेहत और दूध उत्पादन बनाए रखती है, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से पाल सकते हैं.

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Published: 23 Dec, 2025 | 06:45 AM

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