पशुओं में कीड़ों का कहर, चट कर जाते हैं पेट का चारा, समय पर ध्यान न दिया तो चली जाएगी जान

intestinal worms : पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना एक आम लेकिन खतरनाक समस्या है, जो समय पर इलाज न मिले तो बड़ी बीमारी बन जाती है. गलत आहार, गंदा पानी और पोषण की कमी इसकी बड़ी वजह हैं. समय पर जांच, साफ-सफाई और नियमित दवा से किसान अपने पशुओं को पूरी तरह सुरक्षित रख सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 15 Nov, 2025 | 06:00 AM

Livestock Health : सर्दीगर्मी कोई भी मौसम हो, पशुओं की सेहत सबसे ज़्यादा उनके पेट पर ही निर्भर करती है. खासकर पेट में कीड़े पड़ना एक ऐसी समस्या है, जिसे कई पशुपालक तब तक पहचान ही नहीं पाते, जब तक पशु बहुत कमजोर न हो जाए. यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देती है और दूध उत्पादन से लेकर वजन बढ़ने तक हर चीज़ पर असर डालती है. अच्छी बात यह है कि समय पर पहचान और सही देखभाल से इस परेशानी को आसानी से रोका जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर तीन महीने में नियमित जांच कराकर पशुओं को इस समस्या से बचाया जा सकता है.

क्यों पड़ जाते हैं पशुओं के पेट में कीड़े?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुओं के पेट में कीड़े  पड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण है उनका अनियमित और गंदा भोजन. जब पशुओं को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता, तो वे मिट्टी खाना, गंदा पानी पीना या सड़ा हुआ चारा चबाने लगते हैं. ऐसे वातावरण में कीड़े तेजी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. पेट में पड़ने वाले कीड़ों में आमतौर पर कृमि, गोलकृमि और परंकृमि पाए जाते हैं. ये कीड़े पशु के भोजन का 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा खुद खा जाते हैं, जिससे पशु को सही ऊर्जा नहीं मिलती. धीरे-धीरे वह कमजोर होने लगता है, दूध देना कम कर देता है और बार-बार बीमार पड़ने लगता है. यही कारण है कि यह समस्या सिर्फ पशु की नहीं, बल्कि पूरे डेयरी व्यवसाय की बड़ी चुनौती बन जाती है.

ऐसे पहचानें कि पशु के पेट में कीड़े हैं या नहीं

पेट में कीड़े होना शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ लक्षणों को देखकर तुरंत समझा जा सकता है. सबसे पहले पशु का मिट्टी खाना  या दीवार चाटना इस बीमारी का शुरुआती संकेत है. इसके अलावा पशु कमजोर दिखना, बाल खड़े होना, पेट फूलना, सुस्ती, भूख कम होना और पतला दस्त आना भी इसके लक्षण हैं. अगर गोबर में सफेद या छोटे गोल कीड़े दिखाई दें या काले रंग की धारी वाला खून दिखे, तो समझ लें कि समस्या गंभीर है. ऐसी स्थिति में देर करने से बीमारी और बढ़ जाती है. इसलिए लक्षण दिखते ही पशु का तुरंत चेकअप कराना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, हर तीन महीने में पेट की जांच करवाना बहुत जरूरी है ताकि समस्या समय रहते पकड़ में आ सके.

पेट में कीड़े रोकने के आसान उपाय

पशुपालकों के लिए सबसे जरूरी है कि वे नियमित रूप से पशुओं को कीड़े मारने की दवा दें. आमतौर पर हर तीन महीने में डी-वॉर्मिंग करना बेहद लाभदायक माना जाता है. इसके साथ ही गंदे पानी या खराब चारे से बचाना भी अनिवार्य है. पशु को हमेशा साफ-सुथरा और ताजा भोजन दें. सूखा चारा, हरा चारा और संतुलित दाना मिलाकर खिलाएं, ताकि शरीर में पोषण की कमी न रहे. अगर पशु कमजोर  दिखे या दूध कम दे रहा हो, तो तुरंत दवा देना और चिकित्सक से सलाह लेना सबसे सुरक्षित उपाय है. नियमित सफाई, साफ पानी और रोजाना बाड़े की स्वच्छता भी कीड़ों की समस्या को काफी हद तक रोक देती है.

छोटे बछड़ों में कीड़ों का खतरा ज्यादा, ऐसे रखें ध्यान

नवजात बछड़ों के पेट में कीड़े पड़ने की संभावना सबसे अधिक होती है. उनकी पाचन शक्ति नाजुक होती है और बीमारी जल्दी असर दिखाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बछड़ों को हर 15 दिन में कीड़े मारने की दवा देनी चाहिए और यह प्रक्रिया 8 महीने तक जारी रखनी चाहिए. अगर शुरुआत से सावधानी रखी जाए, तो बछड़े तेजी से बढ़ते हैं, मजबूत बनते हैं और आगे चलकर बेहतर दूध उत्पादन करने वाले पशु बनते हैं. नवजात को साफ पानी, साफ बिस्तर और संतुलित दूध देना बेहद जरूरी है.

समय पर देखभाल से पशु रहेंगे स्वस्थ और डेयरी व्यवसाय होगा मजबूत

अगर समय पर जांच, साफ-सफाई और सही दवा दी जाए, तो पेट में कीड़े पड़ने की समस्या कभी गंभीर नहीं बनती. पशु स्वस्थ रहेगा, भूख अच्छी रहेगी और दूध उत्पादन भी स्थिर बना रहेगा. पशुपालकों के लिए यह जानना जरूरी है कि कीड़ों की वजह से होने वाली कमजोरियां पूरी डेयरी  आय पर असर डालती हैं. इसलिए बीमारी को नजरअंदाज न करें और हर तीन महीने में नियमित डी-वॉर्मिंग जरूर कराएं.

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Published: 15 Nov, 2025 | 06:00 AM

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