Punjab Agriculture News: पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) जैव-उर्वरकों (Bio-fertilisers) के जरिए सतत कृषि को बढ़ावा दे रही है. ये उर्वरक रासायनिक उर्वरकों का पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हैं, जो फसल की पैदावार बढ़ाते हैं, मिट्टी की सेहत सुधारते हैं और प्रदूषण कम करते हैं. PAU के कुलपति सतीबीर सिंह गोसल के अनुसार, जैव-उर्वरक में बैक्टीरिया, कवक और शैवाल जैसे लाभकारी सूक्ष्मजीव होते हैं. इन्हें बीज, पौधों या मिट्टी में लगाने से पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध होते हैं, पौधों की वृद्धि बढ़ती है और मिट्टी स्वस्थ रहती है. ये हवा से नाइट्रोजन जोड़ सकते हैं, फॉस्फोरस को घुलनशील बनाते हैं और वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन भी पैदा करते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों की जरूरत कम करते हैं, जो जल प्रदूषण को रोकते हैं. वहीं, वृद्धि बढ़ाने वाले राइजोबैक्टीरिया पौधों की मदद करते हैं और पोषक तत्वों को मिट्टी में उपलब्ध कराते हैं. PAU ने कई लाभकारी सूक्ष्मजीवों को मिलाकर कॉन्सोर्टियम जैव-उर्वरक भी विकसित किया है, जो एकल-प्रजाति वाले उत्पादों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं.
PAU ने की 22 फसलों के लिए जैव-उर्वरक की सिफारिश
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, PAU 22 फसलों के लिए जैव-उर्वरक (bio-fertilisers) की सिफारिश करता है. इनमें अनाज जैसे गेहूं, चावल और मक्का शामिल हैं. दालों में चना, मसूर, मूंग, उड़द, सोयाबीन, अरहर और मटर आते हैं. जबकि, नकदी फसलें जैसे गन्ना, सब्जियां और मसाले जैसे प्याज, आलू, पुदीना और हल्दी भी शामिल हैं. तिलहन में सरसों और सूरजमुखी हैं. इसी तरह चारे की फसलें बर्सीम और एल्सी हैं.
किसानों को दी गई ये खास सलाह
PAU के विशेषज्ञ के अनुसार किसान इन्हें बीज उपचार, पौधरोपण उपचार या मिट्टी में डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने कुछ सावधानियां भी बताई हैं. जैसे हर फसल के लिए सही जैव-उर्वरक इस्तेमाल करें, एक्सपायरी डेट देखें, पैकेट को धूप से दूर रखें और रासायनिक कीटनाशकों के साथ न मिलाने की सलाह दी गई है.
क्या कहते हैं PAU के अधिकारी
ये जैव-उर्वरक PAU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग, Gate 1 के सीड शॉप, पंजाब के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और PAU द्वारा आयोजित किसान मेलों में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं. इन जैव-उर्वरकों (bio-fertilisers) का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए PAU उनके साथ किसानों के लिए एक्सटेंशन लेक्चर और जागरूकता शिविर भी आयोजित करता है, जिसमें उन्हें लगाने के तरीके और बेहतरीन प्रथाओं की जानकारी दी जाती है. PAU के अधिकारियों के अनुसार, यह उत्पाद व्यावसायिक रूप से भी उपलब्ध है और इच्छुक उद्यमियों को मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है.