नाइट्रोजन की कमी से पीले पड़ने लगते हैं धान के पत्ते, किसान जान लें लक्षण और बचाव के तरीके

फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए जरुरी है कि किसान नियमित रुप से मिट्टी और पोषक तत्वों का निरीक्षण करते रहें. साथ ही फसलों पर जैविक खाद का इस्तेमाल करें.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 20 Jul, 2025 | 12:42 AM

फसलों के बेहतरीन पैदावार में पोषक तत्वों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. पोषक तत्वों की कमी से पौधों में कई तरह की बिमारियों का भी खतरा रहता है साथ ही पैदावर भी कम होती है. कई फसलों में पोषक तत्वों की कमी पौधों के पत्तों पर दिखाई देने लगती है. जैसे कि धान के पौधों में पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर इसके पत्तों पर दिखाई देने लगता है. नाइट्रोजन की कमी के कारण धान के पत्तें सूख जाते हैं और पत्तों में पीलापन पड़ जाता है. जिसके कारण धान की पैदावार में कमी आती है. ऐसे में अगर किसान धान की खेती करना चाहते हैं तो उनके लिए ये जानना जरूरी है कि नाइट्रोजन की कमी से फसल पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या लक्षण होते हैं.

नाइट्रोजन की कमी के लक्ष्ण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नाइट्रोजन की कमी के कारण धान के पौधे बौने रह जाते हैं और उनका विकास रुक जाता है. आमतौर पर धान के पत्तों का रंग हरा होता है, ऐसे में अगर पत्तों के रंग में बदलाव आने लगे तो समझ लेना चाहिए की पौधों में पोषक तत्वों की कमी है. धान के पत्तों का पीला पड़ना इसमें नाइट्रोजन की कमी को दर्शाता है. पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे सहा से पक नहीं पाते हैं जिसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है.

फसल को दें सही पोषण

फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए जरुरी है कि किसान नियमित रुप से मिट्टी और पोषक तत्वों का निरीक्षण करते रहें.साथ ही फसलों पर जैविक खाद का इस्तेमाल करें और साथ ही खाद का संतुलित मात्रा में इस्तेमाल कर पौधों को नाइट्रोजन की कमी से बचाया जा सकता है. मिट्टी में गोबर, कंपोस्ट और वर्मीकंपोस्ट को मिलाने से पौधों को नाइट्रोजन की कमी से बचाया जा सकता है. सिंचाई की उचित व्यवस्था से पौधों में पोषक तत्वों की कमी को रोका जा सकता है, जिससे नाइट्रोजन सीधे पौधों की जड़ो तक पहुंचता है.

सही मात्रा में करें नाइट्रोजन का छिड़काव

किसानों के लिए जरूरी है कि वे फसल को कीटों और रोगों से बचाएं क्योंकि कीटों के संक्रमण और रोगों से पौधों में नाइट्रोजन की कमी होती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल चक्र को बनाकर रखें यानी एक ही फसल की खेती लगातार ना करें इससे खेत की उर्वरक क्षमता और नाइट्रोजन में कमी आती है.किसान को धान की फसल में 2 से 3 बार नाइट्रोजन देना चाहिए.एक एकड़ धान की फसल में 40 से 45 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव कर सकते हैं. बता दें कि माइक्रोहाइजा जैसे जीव नाइट्रोजन की मात्रा को संतुलित करने के काम आते हैं.

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Published: 19 Jul, 2025 | 11:53 PM

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