ईरान-इस्राइल तनाव के बीच CRISIL की रिपोर्ट, जानिए भारत के किन सेक्टरों पर मंडरा रहा है खतरा

रिपोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर मिडिल ईस्ट में तनाव और गहराता है, तो सबसे पहले असर कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की सप्लाई पर पड़ सकता है. बीते हफ्ते ब्रेंट क्रूड की कीमत 73 से 76 डॉलर प्रति बैरल के बीच रही है, जबकि अप्रैल-मई में यह कीमत लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल थी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 21 Jun, 2025 | 03:16 PM

जब भी दुनिया में कहीं युद्ध होता है, तो उसका असर सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहता. तेल, व्यापार और निवेश जैसी चीजें भी इसकी चपेट में आ जाती हैं. इस्राइल और ईरान के बीच चल रहे हालिया संघर्ष को लेकर भी भारत में चिंता बनी हुई है. लेकिन क्रिसिल (CRISIL) रेटिंग्स की ताज़ा रिपोर्ट में राहत की बात कही गई है कि अभी तक इस युद्ध का भारत की कंपनियों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है.

भारत का व्यापार इन दोनों देशों से बहुत कम है

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल व्यापार (आयात और निर्यात) में इस्राइल और ईरान की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है. यानी भारत सीधे तौर पर इस युद्ध से फिलहाल व्यापारिक रूप से बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं हो रहा. ईरान को भारत मुख्य रूप से बासमती चावल निर्यात करता है, जबकि इस्राइल से भारत का व्यापार थोड़ा विविध है, जिसमें उर्वरक, मशीनें और तकनीकी उत्पाद शामिल हैं.

अगर तनाव बढ़ा, तो असर दिखेगा ऊर्जा सेक्टर पर

हालांकि, रिपोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर मिडिल ईस्ट में तनाव और गहराता है, तो सबसे पहले असर कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की सप्लाई पर पड़ सकता है. बीते हफ्ते ब्रेंट क्रूड की कीमत 73 से 76 डॉलर प्रति बैरल के बीच रही है, जबकि अप्रैल-मई में यह कीमत लगभग 65 डॉलर प्रति बैरल थी. अगर युद्ध और बढ़ा, तो तेल की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं, जिससे भारतीय रिफाइनरी कंपनियों की लागत बढ़ेगी और उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा.

किन सेक्टरों पर असर हो सकता है?

अगर मिडिल ईस्ट में हालात और ज्यादा बिगड़ते हैं, तो इसका सीधा असर भारत के कुछ खास सेक्टरों पर भी देखने को मिल सकता है. सबसे पहले बात करें स्पेशियलिटी केमिकल्स सेक्टर की, तो इसमें कई कच्चे पदार्थ आयात होते हैं, जिनकी आपूर्ति बाधित हो सकती है. पेंट और कोटिंग्स उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहेगा, क्योंकि इसके लिए आवश्यक रसायनों की कीमतें बढ़ सकती हैं.

एविएशन यानी हवाई यात्रा क्षेत्र पर भी भारी असर पड़ेगा, क्योंकि फ्यूल महंगा होने से टिकट दरें और ऑपरेशन कॉस्ट दोनों बढ़ेंगे. इसके साथ ही टायर उद्योग भी संकट में आ सकता है, क्योंकि कच्चे तेल से जुड़े रॉ मैटेरियल्स की कीमतों में तेजी देखी जा सकती है, जिससे उत्पादन महंगा हो जाएगा. इन क्षेत्रों की लागतें बढ़ सकती हैं या वैश्विक आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे उत्पादन और मुनाफा दोनों प्रभावित हो सकते हैं.

अब तक क्या हुआ है युद्ध में?

20 जून को युद्ध के आठवें दिन इस्राइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान की सैन्य और परमाणु इकाइयों पर हमला किया. अब तक ईरान में 220 और इस्राइल में 24 लोगों की जान जा चुकी है. ईरान ने भी जवाबी हमले में बैलिस्टिक मिसाइलें तेल अवीव पर दागी हैं.

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