Teak Cultivation: खेत की मेड़ पर लगाएं यह पेड़, कुछ सालों में देगा एफडी से भी बेहतर कमाई

Teak Cultivation: अगर आप खेती के साथ-साथ लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न चाहते हैं, तो खेत की मेड़ पर इस बहुपयोगी पेड़ का पौधा जरूर लगाएं. यह कुछ सालों में तैयार होकर लाखों की कमाई करा सकता है, वो भी बिना ज्यादा मेहनत के.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Dec, 2025 | 03:47 PM

Teak Cultivation: किसान अक्सर ऐसी फसलों या पेड़-पौधों की तलाश करते हैं जो ज्यादा मेहनत न मांगें, लेकिन लंबे समय में शानदार कमाई कर दें. इसी वजह से पिछले कुछ वर्षों में सागवान (Teak) की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. मजबूत और महंगी लकड़ी के कारण इसे “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है. इसकी लकड़ी फर्नीचर से लेकर महंगे इंटीरियर तक, हर जगह प्रीमियम दामों पर बिकती है. यही वजह है कि किसान अब खेत की मेड़ों का उपयोग कर सागवान लगाकर अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं.

सागवान के पेड़ की बढ़ती लोकप्रियता

पहले सागवान को सिर्फ जंगलों में देखा जाता था, लेकिन अब किसान भी इसे उगाने लगे हैं. इसका मुख्य कारण है सागवान की लकड़ी की लगातार बढ़ती बाजार कीमत और इसकी टिकाऊ गुणवत्ता.

सागवान की लकड़ी सालों तक खराब नहीं होती, पानी और दीमक दोनों से सुरक्षित रहती है. फर्नीचर मार्केट में इसे सबसे प्रीमियम लकड़ी माना जाता है, इसलिए इसकी मांग हमेशा ऊंची बनी रहती है. यही वजह है कि इसे उगाना किसानों के लिए एक सुरक्षित और भविष्य में बड़े मुनाफे वाला निवेश साबित होता है.

एक पेड़ दे सकता है 40 हजार से 1 लाख रुपये की कमाई

लंबी अवधि में स्थिर कमाई के लिए सागवान सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है. किसान बताते हैं कि सिर्फ एक पेड़ से 40,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है. 1520 वर्षों में यह पेड़ पूरी तरह परिपक्व हो जाता है और लकड़ी की बिक्री से किसान को एकमुश्त बड़ा लाभ मिलता है.

यह कमाई अक्सर बैंक एफडी से मिलने वाले ब्याज से भी कहीं ज्यादा साबित होती है, इसलिए किसान इसे “पेड़ वाला फिक्स्ड डिपॉजिट” भी कहने लगे हैं.

खेत की मेड़ पर लगाएं और पाएं दोहरा फायदा

सागवान की खेती का एक बड़ा फायदा यह है कि इसे खेत के बीच में लगाने की जरूरत नहीं होती. किसान इसे केवल खेत की मेड़ों या किनारों पर लगाकर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके साथ ही इससे-

  • मुख्य फसल प्रभावित नहीं होती
  • अतिरिक्त जमीन का उपयोग हो जाता है
  • मिट्टी कटाव कम होता है
  • मेड़ मजबूत होती है यानि बिना मेहनत के खेत की सीमा खुद कमाई का साधन बन जाती है.

कम पानी में भी बढ़ जाता है सागवान

कई किसान यह मानकर चल जाते हैं कि पेड़ों की खेती करना कठिन होता है, लेकिन सागवान इसका अपवाद है. यह पौधा काफी मजबूत होता है और खेती करने वालों से बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं मांगता. सागवान को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती और सामान्य बारिश वाले क्षेत्रों में यह आसानी से बढ़ जाता है. शुरुआती 1–2 साल तक थोड़ी देखभाल जरूरी होती है, जैसे समय पर सिंचाई करना और आसपास उग आने वाली खरपतवार को हटाना. जब पौधा इन शुरुआती वर्षों को पार कर लेता है, तो इसकी बढ़त अपने आप तेज हो जाती है और आगे ज्यादा ध्यान देने की भी जरूरत नहीं पड़ती. इसी कारण सागवान को कम मेहनत में अच्छे परिणाम देने वाला पेड़ माना जाता है.

सागवान की बढ़ती कीमत

फर्नीचर इंडस्ट्री और लक्री इंटीरियर सेक्टर में सागवान की मांग हर साल बढ़ती जा रही है. बढ़ती मांग और घटती प्राकृतिक उपलब्धता के कारण इसकी कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है. आज सागवान लगाना भविष्य में बड़ी कमाई की मजबूत तैयारी जैसा माना जा रहा है.

कहां से मिल सकते हैं पौधे?

सागवान के पौधे आसानी से उपलब्ध हैं. किसान इन्हें सरकारी नर्सरी, वन विभाग, मनरेगा योजनाओं, कृषि वानिकी कार्यक्रमों और निजी नर्सरी से ले सकते हैं. कई राज्यों में सागवान रोपण पर सहायता योजनाएं भी चल रही हैं.

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