एक तरफ केंद्र सरकार ने मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी बड़ी ग्रामीण योजनाओं में कथित गड़बड़ियों को लेकर पश्चिम बंगाल को मिलने वाले फंड पर रोक लगा दी थी. केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 2014-15 से अब तक केंद्र ने पश्चिम बंगाल को ग्रामीण योजनाओं के तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी है, ताकि गांवों में सड़क, घर, रोजगार और स्वरोजगार जैसे मूलभूत कार्य हो सकें.
19 जिलों में जांच, गंभीर गड़बड़ियां उजागर
शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में मनरेगा योजना में बड़े स्तर पर घोटाले सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि 2019 से 2022 के बीच केंद्र सरकार की टीमों ने राज्य के 19 जिलों में जांच की, जिसमें यह पाया गया कि कई जगहों पर काम हुआ ही नहीं, कई कार्यों को गलत तरीके से बांटा गया और फंड का दुरुपयोग हुआ.
मनरेगा और पीएम आवास में क्यों रोका गया पैसा?
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) और पीएम आवास योजना (ग्रामीण गरीबों के लिए पक्के घर बनाने की योजना) के तहत पश्चिम बंगाल में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं. इसके बाद केंद्र सरकार ने इन योजनाओं के फंड पर अस्थायी रोक लगा दी थी.
लेकिन क्यों?
शिकायतों में कहा गया कि मजदूरी का पैसा सही लोगों तक नहीं पहुंचा, अपात्र लाभार्थियों को घर दे दिए गए, और ग्राम पंचायत स्तर पर योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं रही. इन गड़बड़ियों की जांच के बाद ही पैसा रोका गया.
चौहान ने बताया कि इस राशि में शामिल हैं-
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 16,505 करोड़ रुपये
- प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण (PMAY-G) के तहत 25,798 करोड़ रुपये
- मनरेगा (MGNREGA) के तहत 54,465 करोड़ रुपये (2014-15 से 2022 तक)
- राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM) के तहत 3,881 करोड़ रुपये
- और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के तहत 8,389 करोड़ रुपये
पीएम आवास योजना में भी नियमों की अनदेखी
चौहान ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य सरकार ने कई अपात्र परिवारों को लाभ दिया, वहीं जो वाकई हकदार थे, उन्हें योजना से बाहर कर दिया गया. इतना ही नहीं, योजना का नाम भी बदलने की कोशिश की गई, जो नियमों के खिलाफ है. इन शिकायतों को जब केंद्र की निगरानी टीमों ने जांचा, तो वे सही पाई गईं.
राजनीतिक तकरार भी बनी वजह
तृणमूल कांग्रेस (TMC) और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर लगातार आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र पर राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया, तो वहीं केंद्र सरकार ने पारदर्शिता की बात करते हुए कहा कि “जो राज्य नियमों का पालन नहीं करेगा, उसे जवाब देना होगा.”
राज्य सरकार पर लगाया जवाबदेही से भागने का आरोप
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से बार-बार पारदर्शिता और सुधार की मांग की गई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार जिम्मेदारी, पारदर्शिता और विश्वास की कसौटी पर पूरी तरह विफल रही है.”
“केंद्र सरकार रहेगी प्रतिबद्ध”
केंद्रीय मंत्री ने अंत में कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य साफ है गांव, गरीब और श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाना. चाहे राज्य सरकार सहयोग करे या नहीं, केंद्र अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा और जनता के अधिकारों की रक्षा करता रहेगा.