स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा वक्त वसंत का मौसम होता है. पहाड़ी इलाकों में फरवरी के आसपास और मैदानी इलाकों में अप्रैल से मई तक बुआई करने पर पौधे तेजी से जड़ पकड़ते हैं और गर्मी में बढ़िया फल देते हैं.
इसके लिए ऐसी जगह चुननी होती है जहां दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे धूप पड़े. मिट्टी हल्की भुरभुरी होनी चाहिए जिसमें पानी आसानी से निकल सके. बुआई से पहले खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट अच्छी तरह मिलाना जरूरी है ताकि पौधों को पोषण मिलता रहे.
पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि क्राउन यानी जड़ और तने का जोड़ मिट्टी की सतह पर ही रहे. पौधों के बीच 12 से 18 इंच की दूरी रखें ताकि हवा आसानी से पास हो सके और फफूंदी जैसी बीमारियों का खतरा न हो. बुआई के बाद तुरंत पानी देना न भूलें.
स्ट्रॉबेरी के पौधों को लगातार पानी की जरूरत होती है लेकिन खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए. गर्मियों के दौरान खास देखभाल करनी पड़ती है. आप चाहें तो मल्चिंग करें, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते.
इस खेती में कीट और बीमारियों का खतरा भी रहता है. पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां और फफूंदी परेशान कर सकती हैं. रासायनिक दवाओं की जगह जैविक उपाय बेहतर रहते हैं. नीम के छिड़काव से कीट दूर रहते हैं और तुलसी-गेंदा जैसे पौधे भी काफी मदद करते हैं.
अगर बुआई समय पर हो और देखभाल सही तरीके से की जाए तो कुछ ही हफ्तों में लाल-लाल, मीठी और ताजी स्ट्रॉबेरी खेत में तैयार हो जाती है. अपने खेत की स्ट्रॉबेरी का स्वाद इतना बेहतरीन होता है कि बाजार की स्ट्रॉबेरी भी फीकी लगती है.