गांव में उगाइए बाजार से भी मीठी स्ट्रॉबेरी, ऐसे करें खेती की शुरुआत

गांवों में अब ऐसे तरीके से स्ट्रॉबेरी उगाई जा रही है कि उसकी मिठास बाजार की स्ट्रॉबेरी पर भारी पड़ने लगी है. इससे किसानों की कमाई में जबरदस्त बदलाव दिख रहा है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 14 Jun, 2025 | 03:28 PM
1 / 6स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा वक्त वसंत का मौसम होता है. पहाड़ी इलाकों में फरवरी के आसपास और मैदानी इलाकों में अप्रैल से मई तक बुआई करने पर पौधे तेजी से जड़ पकड़ते हैं और गर्मी में बढ़िया फल देते हैं.

स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने का सबसे अच्छा वक्त वसंत का मौसम होता है. पहाड़ी इलाकों में फरवरी के आसपास और मैदानी इलाकों में अप्रैल से मई तक बुआई करने पर पौधे तेजी से जड़ पकड़ते हैं और गर्मी में बढ़िया फल देते हैं.

2 / 6इसके लिए ऐसी जगह चुननी होती है जहां दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे धूप पड़े. मिट्टी हल्की भुरभुरी होनी चाहिए जिसमें पानी आसानी से निकल सके. बुआई से पहले खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट अच्छी तरह मिलाना जरूरी है ताकि पौधों को पोषण मिलता रहे.

इसके लिए ऐसी जगह चुननी होती है जहां दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे धूप पड़े. मिट्टी हल्की भुरभुरी होनी चाहिए जिसमें पानी आसानी से निकल सके. बुआई से पहले खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट अच्छी तरह मिलाना जरूरी है ताकि पौधों को पोषण मिलता रहे.

3 / 6पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि क्राउन यानी जड़ और तने का जोड़ मिट्टी की सतह पर ही रहे. पौधों के बीच 12 से 18 इंच की दूरी रखें ताकि हवा आसानी से पास हो सके और फफूंदी जैसी बीमारियों का खतरा न हो. बुआई के बाद तुरंत पानी देना न भूलें.

पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि क्राउन यानी जड़ और तने का जोड़ मिट्टी की सतह पर ही रहे. पौधों के बीच 12 से 18 इंच की दूरी रखें ताकि हवा आसानी से पास हो सके और फफूंदी जैसी बीमारियों का खतरा न हो. बुआई के बाद तुरंत पानी देना न भूलें.

4 / 6स्ट्रॉबेरी के पौधों को लगातार पानी की जरूरत होती है लेकिन खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए. गर्मियों के दौरान खास देखभाल करनी पड़ती है. आप चाहें तो मल्चिंग करें, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते.

स्ट्रॉबेरी के पौधों को लगातार पानी की जरूरत होती है लेकिन खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए. गर्मियों के दौरान खास देखभाल करनी पड़ती है. आप चाहें तो मल्चिंग करें, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते.

5 / 6इस खेती में कीट और बीमारियों का खतरा भी रहता है. पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां और फफूंदी परेशान कर सकती हैं. रासायनिक दवाओं की जगह जैविक उपाय बेहतर रहते हैं. नीम के छिड़काव से कीट दूर रहते हैं और तुलसी-गेंदा जैसे पौधे भी काफी मदद करते हैं.

इस खेती में कीट और बीमारियों का खतरा भी रहता है. पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां और फफूंदी परेशान कर सकती हैं. रासायनिक दवाओं की जगह जैविक उपाय बेहतर रहते हैं. नीम के छिड़काव से कीट दूर रहते हैं और तुलसी-गेंदा जैसे पौधे भी काफी मदद करते हैं.

6 / 6अगर बुआई समय पर हो और देखभाल सही तरीके से की जाए तो कुछ ही हफ्तों में लाल-लाल, मीठी और ताजी स्ट्रॉबेरी खेत में तैयार हो जाती है. अपने खेत की स्ट्रॉबेरी का स्वाद इतना बेहतरीन होता है कि बाजार की स्ट्रॉबेरी भी फीकी लगती है.

अगर बुआई समय पर हो और देखभाल सही तरीके से की जाए तो कुछ ही हफ्तों में लाल-लाल, मीठी और ताजी स्ट्रॉबेरी खेत में तैयार हो जाती है. अपने खेत की स्ट्रॉबेरी का स्वाद इतना बेहतरीन होता है कि बाजार की स्ट्रॉबेरी भी फीकी लगती है.

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