केवल 18 फीसदी धान का हो पाया बीमा, आखिर किसान क्यों बना रहे हैं फसल बीमा स्कीम से दूरी?

तंजावुर में इस साल करीब 79,000 हेक्टेयर में कुरुवई धान की खेती हुई, लेकिन सिर्फ 18 फीसदी फसल का ही बीमा हुआ. किसान पिछली बीमा क्लेम प्रक्रिया से नाखुश हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 16 Aug, 2025 | 04:37 PM

तमिलनाडु में इस साल सरकार ने फसल बीमा के लिए आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 14 अगस्त कर दी, फिर भी तंजावुर जिले में सिर्फ 18 फीसदी कुरुवई धान की खेती ही बीमा के दायरे मेंपाई है. किसानों का कहना है कि पिछले सालों में बीमा कंपनियों ने सही समय पर क्लेम नहीं दिया, इसलिए उन्हें अब भरोसा नहीं रहा. वहीं कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कई किसान मॉनसून शुरू होने से पहले ही फसल काट लेते हैं, इसलिए उन्हें बीमा की जरूरत कम लगती है और उनकी रुचि भी कम रहती है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस साल तंजावुर जिले में लगभग 79,000 हेक्टेयर में कुरुवई धान की खेती की गई है. लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, अब तक सिर्फ 13,820 हेक्टेयर फसल का ही किसानों ने बीमा करवाया है, यानी कुल खेती के क्षेत्र का सिर्फ 18 फीसदी ही बीमा के तहत आया है.

9,600 हेक्टेयर का ही बीमा हुआ

पहली कट-ऑफ तारीख 31 जुलाई तक, जिले में कुरुवई धान की खेती किए गए 64,800 हेक्टेयर में से सिर्फ 9,600 हेक्टेयर का ही बीमा हुआ था. अम्मापेट्टई के किसान पी. सेंथिलकुमार ने कहा कि पिछले कुछ सालों में फसल खराब होने पर बीमा कंपनियों ने क्लेम ठीक से नहीं दिया, इसलिए अब किसान बीमा कराने के लिए इच्छुक नहीं हैं. 

किसानों ने कुरुवई धान की बुवाई जल्दी कर दी

वहीं, तिरुवैयारू के किसान एस. शिवकुमार ने कहा कि जिन किसानों के पास पंपसेट हैं, उन्होंने कुरुवई की बुवाई जल्दी शुरू कर दी थी और अब वे कटाई के करीब हैं, इसलिए उन्होंने बीमा नहीं कराया. किसान शिवकुमार ने कहा कि इसलिए किसान अपनी मौसमी फसल का बीमा करवाना जरूरी नहीं समझते. ऐसा जब कृषि विभाग के एक अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बार कई किसानों ने कुरुवई धान की बुवाई जल्दी कर दी थी, जिसकी कटाई उत्तर-पूर्वी मानसून शुरू होने से पहले ही हो जाएगी. इसलिए इनके लिए जोखिम कम है.

मॉनसून से नुकसान की आशंका है

अधिकारी ने कहा कि जिले के 14 ब्लॉकों में से 5 ब्लॉकों के किसान जिन्होंने खेती देर से शुरू की है, उन्हें मॉनसून से नुकसान की आशंका है, इसलिए वे अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं. वहीं, 2024 में तंजावुर जिले में कुल बीमाकृत कुरुवई धान का क्षेत्र सिर्फ 5,090 हेक्टेयर था, जो कुल खेती का लगभग 10फीसदी है. वहीं तिरुवरूर जिले में 77,573 हेक्टेयर में कुरुवई धान की खेती हुई, जिसमें से 37,110 हेक्टेयर फसल का बीमा हुआ, यानी लगभग 48 फीसदी. अधिकारियों के मुताबिक, तिरुवरूर के ज्यादातर किसानों ने कुरुवई की बुवाई कावेरी नदी का पानी मिलने के बाद शुरू की, इसलिए उन्होंने बीमा करवाना जरूरी समझा.

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