मध्य प्रदेश खरीफ बुवाई में इस साल मौसम ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. राज्य में मक्का और तिल के उत्पादन के लिए जाना जाता है, और इस मानसून सीजन में अब तक सामान्य से 23फीसदीअधिक बारिश हुई है. बावजूद इसके, खरीफ फसलों की कुल बुवाई का रकबा पिछले साल की तुलना में 1फीसदी घट गया है. इसका मुख्य कारण जुलाई में हुई अत्यधिक बारिश को माना जा रहा है, क्योंकि जुलाई खरीफ बुवाई का अहम महीना होता है और इस दौरान हुई जोरदार बारिश ने कई किसानों को खेतों में बुवाई करने से रोक दिया.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि इस बार बारिश का पैटर्न किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा. जून में सामान्य बारिश ने किसानों को उम्मीद दी थी, लेकिन जुलाई में हुई अत्यधिक वर्षा ने बुवाई में देरी कर दी. कई किसानों ने मजबूरी में जल्दी पकने वाली उड़द जैसी फसलों की ओर रुख किया, जो लगभग 90 दिनों में तैयार हो जाती हैं. इसके अलावा, सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के कारण कई किसान मक्का की खेती को प्राथमिकता देने लगे.
फसल रकबे में गिरावट और बदलाव
राज्य में बुवाई का समय लगभग समाप्त हो चुका है और आंकड़े बताते हैं कि कई प्रमुख फसलों का रकबा घटा है. पिछले साल की तुलना में इस साल सोयाबीन का रकबा 5 फीसदी घटकर 51.20 लाख हेक्टेयर रह गया. मूंगफली के रकबे में भारी गिरावट देखी गई है, जो 36.9 फीसदी कम होकर बचे 2.25 लाख हेक्टेयर पर आ गई. तिल में 31.2 फीसदी और कपास में लगभग 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. मूंग, बाजरा और ज्वार की बुवाई भी पिछली साल की तुलना में कम रही.
इसके विपरीत, कुछ फसलों का रकबा बढ़ा है. मक्का की बुवाई 13.1 फीसदी बढ़कर 23.50 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि उड़द का रकबा 40.3 फीसदी बढ़कर 5.95 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. तुअर (अरहर) की बुवाई में भी 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आंकड़े साफ बता रहे हैं कि किसानों ने अधिक लाभकारी और जल्दी पकने वाली फसलों की ओर रुख किया है.
किसानों पर मौसम और बाजार का असर
भारी बारिश ने न केवल बुवाई के समय को प्रभावित किया बल्कि खेतों में पैदावार पर भी असर डाला है. जुलाई की बरसात ने कुछ खेतों में जलभराव पैदा कर दिया, जिससे सोयाबीन, कपास और अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित हुई. इसके अलावा, सोयाबीन की कीमतों में गिरावट ने किसानों को जोखिम कम करने और मक्का, उड़द जैसी फसलों की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया.
किसान अब मौसम और बाजार दोनों की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी फसल योजना बना रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल मक्का और उड़द से किसानों को अच्छा लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन सोयाबीन और कपास जैसी फसलों की पैदावार और कुल उत्पादन में गिरावट देखने को मिल सकती है.