भारत को तगड़ा झटका! ब्राजील बना बांग्लादेश का नंबर-1 कपास सप्लायर-जानिए वजह

ब्राजील की कपास लोकप्रिय होने की वजह कीमतों में स्थिरता, भारी मात्रा में उपलब्धता और समय पर सप्लाई है. वहीं भारतीय कपास पहले पसंद इसलिए थी क्योंकि वह कम दूरी में पहुंच जाती थी, जिससे ट्रांसपोर्ट आसान रहता था.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 12 Dec, 2025 | 08:15 AM

बांग्लादेश जो दुनिया के सबसे बड़े कपास आयातकों और दूसरे सबसे बड़े गारमेंट निर्यातक देशों में शामिल हैअब अपने कच्चे कपास के लिए सबसे ज्यादा भरोसा भारत पर नहीं, बल्कि ब्राजील पर कर रहा है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) की ताा रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि ब्राजील ने कपास सप्लाई के मामले में भारत को पीछे छोड़ दिया है. इस बदलाव ने कपड़ा उद्योग में नए समीकरण खड़े कर दिए हैं.

ब्राजील की कपास की बढ़ती लोकप्रियता

USDA की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केटिंग ईयर 2024-25 में बांग्लादेश ने कुल 8.28 मिलियन बेल कपास आयात किया. इसमें से लगभग 1.9 मिलियन बेल अकेले ब्राजील से आया, जो कुल आयात का 23 फीसदी है. भारत, जो अब तक सबसे बड़ा सप्लायर था, इस साल दूसरे स्थान पर चला गया है. भारत से बांग्लादेश ने 1.4 मिलियन बेल कपास खरीदा.

ब्राजील की कपास लोकप्रिय होने की वजह कीमतों में स्थिरता, भारी मात्रा में उपलब्धता और समय पर सप्लाई है. वहीं भारतीय कपास पहले पसंद इसलिए थी क्योंकि वह कम दूरी में पहुंच जाती थी, जिससे ट्रांसपोर्ट आसान रहता था. लेकिन गुणवत्ता और कीमत दोनों मामलों में ब्राजील ने बढ़त बना ली है.

आगे और बढ़ेगी कपास की मांग

रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल यानी 2026 में बांग्लादेश की कपास जरूरत 1.4 फीसदी और बढ़कर 8.4 मिलियन बेल हो सकती है. इसका मतलब यह है कि कपास आयात का दबाव और ज्यादा बढ़ेगा.

पहले 2024 में आयात 7.8 मिलियन बेल था, यानी लगातार मांग बढ़ रही है क्योंकि बांग्लादेश का स्पिनिंग उद्योग तेजी से विस्तार कर रहा है.

घरेलू उत्पादन क्यों नहीं बढ़ पा रहा?

बांग्लादेश में कपास उत्पादन बेहद सीमित है. देश में सिर्फ 45,00046,000 हेक्टेयर जमीन पर ही कपास की खेती होती है. लंबे समय तक उगने वाली फसल और खेती वाली जमीन की कमी की वजह से इसका उत्पादन सिर्फ 1.53 लाख बेल पर ही अटका हुआ है. इस वजह से कपड़ा उद्योग पूरी तरह आयात पर निर्भर है.

स्पिनिंग उद्योग आधी क्षमता पर चल रहा है

बांग्लादेश का स्पिनिंग उद्योग सालाना 15 मिलियन बेल कपास इस्तेमाल करने की क्षमता रखता है, लेकिन अभी इसका सिर्फ 50 फीसदी ही उपयोग हो पा रहा है.

मार्केटिंग ईयर 2025 में अनुमान है कि 8.3 मिलियन बेल कपास का उपयोग हुआ. अगले साल इसे बढ़ाकर 8.5 मिलियन बेल होने की संभावना है. इसके साथ ही देश में यार्न उत्पादन भी बढ़ रहा है—MY25 में 1.7 मिलियन टन से बढ़कर MY26 में 1.9 मिलियन टन होने का अनुमान है.

आयात में भारत अभी भी नंबर-1

भले ही भारत कच्चे कपास में दूसरे स्थान पर खिसक गया हो, लेकिन कपास यार्न में भारत की पकड़ अभी भी मजबूत है. भारत से छोटी दूरी, कम लॉजिस्टिक लागत और बड़ा स्पिनिंग उद्योग होने की वजह से बांग्लादेश सबसे ज्यादा यार्न भारत से ही खरीदता है. फैब्रिक आयात में चीन का दबदबा है, इसके बाद पाकिस्तान और फिर भारत का नंबर आता है.

कपास व्यापार में बड़ा बदलाव

ब्राजील के बढ़ते प्रभाव और भारत की घटती हिस्सेदारी यह दिखाती है कि वैश्विक कपास बाार में प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है. बांग्लादेश जैसे तेजी से बढ़ते गारमेंट हब के लिए यह बदलाव बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि सप्लाई चेन और कीमत दोनों पर इसका सीधा असर पड़ेगा.

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