Samosa History: भारत में अगर किसी स्नैक ने हर दिल जीत लिया है, तो वह है समोसा. गरमागरम, क्रिस्पी और मसालेदार समोसा चाय के साथ हो या त्योहार की रौनक में, हर जगह इसे पसंद किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि समोसा मूल रूप से भारत का नहीं है? हां, यह सच है.
समोसा की असली शुरुआत मध्य एशिया में हुई थी. वहां इसे “साम्सा” या “सनबुसाक” कहा जाता था. यह एक तिकोनाकार पास्ता होता था, जिसे मीट, सब्जियों और मसालों से भरा जाता था.
भारत में समोसा का आगमन
समोसा भारत में मध्यकालीन समय में आया. 14वीं सदी के मोरक्को के यात्री इब्न बतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में समोसा का जिक्र किया है. उनके अनुसार, “संबुसक” नाम का यह तिकोनाकृति पास्ता कीमा, मटर, पिस्ता और बादाम से भरा होता था और शर्बत के बाद परोसा जाता था.
भारत में इसे मुख्य रूप से मध्य-पूर्व के शेफ लाए थे, जो दिल्ली सल्तनत के समय यहां काम करने आए थे. धीरे-धीरे समोसा शाही दरबार और आम जनता दोनों की पसंद बन गया. यह स्नैक न सिर्फ राजाओं के लिए बल्कि सड़क किनारे के ठेलों में भी लोकप्रिय हो गया. यही कारण है कि आज भी समोसा हर जगह उतना ही पसंद किया जाता है.

विदेश से भारत तक का स्वादिष्ट और मसालेदार तिकोना स्नैक, जो आज हर त्योहार और चाय के समय पर है पसंदीदा
समोसे की दुनिया भर में लोकप्रियता
19वीं सदी में भारतीय प्रवासियों के साथ समोसा इंग्लैंड पहुंचा. वहां यह करी हाउस और चाय बागानों में परोसा गया. धीरे-धीरे यह अमेरिका और दुनिया के कई देशों में लोकप्रिय हो गया. स्पेनिश लोगों ने इसे “एम्पनाडास” कहा और इसे लैटिन अमेरिका और अन्य देशों में भी पहुंचाया. आज दुनिया भर में समोसा भारतीय व्यंजन के तौर पर जाता है.
भारत में समोसे का विकास
भारत में समोसा आमतौर पर आलू, मटर या दाल से भरा जाता है. इसका बाहरी हिस्सा क्रिस्पी और अंदर का मसालेदार भरावन हर किसी के मुंह में पानी ला देता है. यह स्नैक हर राज्य, शहर और गांव में समान रूप से लोकप्रिय है.
एक देश समोसे अनेक
भारत की विविधता सिर्फ उसकी भाषाओं, पहनावे और रीति-रिवाजों में नहीं, बल्कि खाने-पीने की चीजों में भी देखने को मिलती है. समोसा भी इसका बेहतरीन उदाहरण है. हर राज्य और क्षेत्र में समोसा को अलग तरीके से बनाया और परोसा जाता है, जिससे उसका स्वाद और शैली भी बदल जाती है.

पंजाबी सामोसा आमतौर पर इमली या पुदीना की चटनी के साथ परोसा जाता है.
पंजाबी समोसा
पंजाब में समोसा बड़े आकार का और भरावन के मामले में बेहद मसालेदार होता है. इसमें मुख्य रूप से उबले हुए आलू और मटर का मिश्रण होता है, जिसमें जीरा, धनिया पाउडर, अमचूर और हरी मिर्च का तड़का लगाया जाता है. अक्सर यह इमली की मीठी-खट्टी चटनी या पुदीने की ताजी हरी चटनी के साथ परोसा जाता है. पंजाबी समोसा भरे और मसालेदार होने के कारण इसे खाना एक आनंदमय अनुभव होता है.
बंगाली शिंगारा
बंगाल में इसे “शिंगारा” कहा जाता है. यह आकार में छोटे और हल्के होते हैं. इनमें आलू का मसालेदार भरावन तो होता ही है, लेकिन कभी-कभी इसमें दाल, मटर या खोया भी डाला जाता है. खास बात यह है कि नारियल की हल्की मिठास इसे बंगाली स्वाद के अनुकूल बनाती है. शिंगारा अक्सर चाय के साथ नाश्ते में खाया जाता है और त्योहारी मौसम में बाजारों में इसे देखकर बच्चों और बड़ों दोनों की आंखें चमक उठती हैं.
दक्षिण भारतीय समोसा
दक्षिण भारत में सामोसे में स्थानीय मसालों और स्वादों का असर साफ देखा जा सकता है. इसमें आलू को मसालों के साथ भरा जाता है, जिसमें सरसों के बीज, करी पत्ता, हरी मिर्च और कभी-कभी काजू या नारियल भी डाला जाता है. इसे नारियल की चटनी या सांभर के साथ परोसा जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी खास बन जाता है. दक्षिण भारतीय समोसा आकार में छोटे या मध्यम हो सकते हैं, लेकिन मसालों के स्वाद में तीखापन और खुशबू पूरी तरह से महसूस होती है.
हर क्षेत्र का समोसा अलग स्वाद और शैली में आता है, लेकिन इसकी तिकोनाकृति और मसालेदार भरावन हमेशा एक जैसी होती है.

हर क्षेत्र का सामोसा अपने स्वाद और शैली में अलग है.
समोसा की खासियत
समोसे की सफलता का कारण इसका स्वाद है. बाहर से क्रिस्पी और अंदर से नरम, यह स्नैक हर उम्र और स्वाद के लोगों को भाता है. यह शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के विकल्पों के लिए भी उपयुक्त है.
समोसा हर मौके और माहौल में फिट हो जाता है, चाहे त्योहार हो, सड़क किनारे का स्नैक हो या शाही दावत. इसकी सस्ती कीमत और आसानी से बनने वाला रूप इसे और भी प्रिय बनाता है.