भारत को अमेरिका ने फिर दिया बड़ा झटका, भारतीय सोयामील पर लगाई 290 फीसदी से अधिक ड्यूटी

2020-21 में अमेरिका भारत का चौथा सबसे बड़ा सोयामील बाजार था. अब निर्यातकों के सामने नई रणनीति अपनाने और वैकल्पिक बाजार तलाशने की चुनौती है.

नई दिल्ली | Published: 2 Sep, 2025 | 02:18 PM

भारत के कृषि और निर्यात क्षेत्र के लिए एक बार फिर चिंता की खबर सामने आई है. अमेरिका ने भारतीय सोयामील पर 290 फीसदी से अधिक एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटी लागू कर दी है. इस फैसले से न केवल भारतीय निर्यातकों की कमाई प्रभावित होगी, बल्कि अमेरिका को होने वाले सोयामील निर्यात में भी भारी गिरावट आई है.

अमेरिका ने ड्यूटी क्यों लगाई?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग (USITC) ने 2021-22 में भारतीय सोयामील पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू की थी. इस जांच में अधिकांश भारतीय कंपनियों ने भाग नहीं लिया. केवल एक कंपनी ने ही जांच का जवाब दिया. बाकी कंपनियों की चुप्पी के कारण अमेरिका ने सोयामील पर भारी शुल्क लगाना जरूरी समझा.

अमेरिका ने तय किया कि अधिकांश कंपनियों के लिए 18.80 फीसदी एंटी-डंपिंग ड्यूटी और 283.91 फीसदी काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगेगी. जबकि उस एक कंपनी पर, जिसने जांच में हिस्सा लिया, केवल 9.57 फीसदी ड्यूटी लगी.

निर्यात में बड़ी गिरावट

भारत पहले अमेरिका को गैर-जीएम (Non-GM) सोयामील निर्यात करता था, जिसे ऑर्गेनिक सोयामील के रूप में बेचा जाता था. 2020-21 में भारत ने अमेरिका को 2.27 लाख टन सोयामील निर्यात किया था. लेकिन अब भारी शुल्क और जांच के चलते निर्यात में जबरदस्त कमी आई है. 2024-25 में केवल 21,313 टन सोयामील ही अमेरिका भेजा जा सका.

OSPA की भूमिका

अमेरिका की ऑर्गेनिक सोयाबीन प्रोसेसर्स ऑफ अमेरिका (OSPA) ने दावा किया कि भारत से आने वाला सोयामील “न्यायसंगत मूल्य” से कम में बेचा जा रहा है. साथ ही, भारत सरकार निर्यातकों को अनियमित सब्सिडी दे रही है. इसी आधार पर अमेरिका ने भारी ड्यूटी लगाने का निर्णय लिया.

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने कहा कि इतनी भारी ड्यूटी के बाद कोई भी भारतीय निर्यातक अमेरिका में सोयामील नहीं भेजना चाहेगा. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) का कहना है कि अमेरिकी संगठन की आपत्ति के कारण निर्यात पूरी तरह प्रभावित हुआ है.

अमेरिकी बाजार में सोयामील की खास मांग

अमेरिका में अधिकांश सोयाबीन जीएम (GM) होती है. इसलिए भारतीय गैर-जीएम सोयामील की मांग वहां अलग स्तर की थी. इस सोयामील में तेल की मात्रा 5-6 फीसदी होती है, जबकि सामान्य सोयामील में केवल 1 फीसदी तेल होता है. इसे मुख्य रूप से मुर्गियों के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता था.

आगे की चुनौती

2020-21 में अमेरिका भारत का चौथा सबसे बड़ा सोयामील बाजार था. अब निर्यातकों के सामने नई रणनीति अपनाने और वैकल्पिक बाजार तलाशने की चुनौती है. विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीक और सरकारी मदद के माध्यम से ही इस झटके का सामना किया जा सकता है. भारत के सोयामील निर्यातकों के लिए यह समय सोच-समझकर कदम उठाने और नए अवसर खोजने का है.