क्यों पूरी नहीं पड़ रही खाद.. गन्ना ड्रेसिंग और धान बनी वजह, कृषि मंत्री की किसानों से खास अपील

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि अधिकारियों को छापेमारी और जांच अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं. क्योंकि, कई जगह अपने चहेतों को तय मात्रा से अधिक खाद देने की शिकायतें मिली हैं. वे खुद आज कुशीनगर में छापेमारी करने पहुंचे.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 11 Jul, 2025 | 06:02 PM

उत्तर प्रदेश में किसानों को खाद नहीं मिल पाने के मामले सामने आ रहे हैं, जबकि सरकार का दावा है कि खाद का भरपूर स्टॉक मौजूद है. बल्कि, पिछले साल की खपत से ज्यादा इस बार खाद की उपलब्धता है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर क्या वजह है कि किसान खाद नहीं हासिल कर पा रहे हैं. खुद कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि धान की रोपाई और गन्ना की ड्रेसिंग के चलते इस तरह की दिक्कत किसानों के सामने आ रही है. क्योंकि, खाद विक्रेता अपने चहेते लोगों को कई-कई बोरी एक साथ दे रहे हैं. इसकी वजह से अन्य किसानों को उपलब्धता में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

चहेतों को ज्यादा खाद देने पर लाइसेंस निरस्त

खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगने के वीडियो और मामले सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि अधिकारियों को छापेमारी और जांच अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं. क्योंकि, कन्नौज में विश्वनाथ खाद भंडार और अन्नपूर्णा एग्री जंक्शन के यहां छापेमारी के दौरान पता चला कि यह किसानों को तय मात्रा से अधिक खाद दे रहे थे. रिपोर्ट के अनुसार विक्रेता अपने चहेते लोगों को कई-कई बोरी खाद दे रहे थे. जांच में सत्यता पाए जाने पर दोनों दुकानों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं.

कृषि मंत्री ने छापेमारी की, किसानों का फीडबैक लिया

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि वह आज 11 जुलाई को जनपद कुशीनगर की हाटा बाजार में प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र, देवेश सीड्स कम्पनी, जायसवाल फर्टिलाइजर का औचक निरीक्षण किया. यहां पर उन्होंने खाद बोरी और अन्य कृषि उत्पादों के बैग की जानकारी ली और कीमत समेत डिटेल्स खुद चेक की. उन्होंने दुकानदारों को कालाबाजारी, ओवररेटिंग और टैगिंग नहीं करने के सख्त निर्देश दिए. उन्होंने दुकान पर उपस्थित किसानों से खाद बीज बिक्री का फीडबैक भी लिया. कृषि मंत्री ने किसान से अपील करते हुए कहा कि अपनी जरूरत के अनुसार ही खाद खरीदें, ज्यादा मत लें. जरूरत पड़े तो बाद में फिर से ले जाएं.

इसलिए भी खाद की लग रही लंबी-लंबी लाइनें

इस समय किसान गन्ना की ड्रेसिंग कार्य में जुटे हैं, राज्य के ज्यादातर हिस्सों में यह प्रक्रिया चल रही है. गन्ना ड्रेसिंग को टॉप ड्रेसिंग भी कहा जाता है. यह गन्ने की फसल में खाद लगाने की एक विधि है. खाद को पौधों की जड़ों के पास डाला जाता है. आमतौर पर बुवाई के बाद या फसल की वृद्धि के दौरान किसान यह प्रक्रिया अपनाते हैं, ताकि पौधा तेजी से बढ़े. इसके साथ ही धान रोपाई भी तेजी से चल रही है, और रोपाई के तुरंत बाद फसल को खाद की जरूरत पड़ती है. गन्ना और धान किसान फसल के लिए भारी मात्रा में खाद की बोरियां खरीद रहे हैं. इसकी वजह से अन्य फसलों के लिए किसानों को खाद हासिल करने में दिक्कत हो रही है.

गन्ना ड्रेसिंग और धान रोपाई से अचानक बढ़ी खपत

उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई और गन्ने की टॉप ड्रेसिंग तेजी से जारी है. इससे यूरिया की मांग में भी काफी तेजी है. मानसून के अनुकूल रहने का पूर्वानुमान यूरिया की जमाखोरी बढ़ा रहा है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही लगातार अपील कर रहे हैं कि प्रदेश में यूरिया से लेकर फास्फेटिक और पोटैशिक खाद की फिलहाल कोई कमी नहीं है, लिहाजा किसान अपनी वर्तमान की जरूरतों के अनुसार ही ‘उर्वरकों की खरीद करें लेकिन खाद की खरीददारी जारी है.

पिछले साल से ज्यादा खाद का स्टॉक मौजूद – कृषि मंत्री

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सहकारिता व निजी क्षेत्र के बिक्री केन्द्रों पर 14.59 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है. इसके अलावा 5.63 लाख मीट्रिक टन फास्फेटिक (डीएपी, एनपीके) उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के रिटेल प्वाइंट पर 1.13 लाख मीट्रिक टन यूरिया तथा जनपदों के बफर गोदामों में 1.89 लाख मीट्रिक टन यूरिया स्टॉक किया गया है. डीएपी व एनपीके की भी समान रूप से उपलब्धता सुनिश्चित है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष खरीफ में 32.84 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई थी, इस बार उससे अधिक खाद स्टॉक मौजूद है.

कृषि निदेशालय ने बनाया कंट्रोलरूम

किसानों को किसी अन्य उत्पाद की टैगिंग कर जबरन उर्वरक बेचने की शिकायत मिलती है या खाद का दाम अधिक लिया जाता है तो संबंधित दोषियों पर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाएगी. शिकायत दर्ज करने और कार्रवाई के लिए कृषि निदेशालय स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जिनके हेल्पालाइन नंबर 0522-2209650 हैं. इसके साथ ही जनपदों में जिलाधिकारी कार्यालयों में भी किसान शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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Published: 11 Jul, 2025 | 05:56 PM

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