केन-बेतवा से बदलेगी किस्मत! बुंदेलखंड छोड़ेगा पंजाब-हरियाणा को पीछे, डबल होगा उत्पादन

केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड की किस्मत बदलेगी. मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव का दावा है कि यहां की धरती हरियाणा-पंजाब को पीछे छोड़ते हुए डबल उत्पादन करेगी.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 31 May, 2025 | 04:03 PM

बुंदेलखंड, जिसे अब तक सूखे और पलायन की भूमि के तौर पर जाना जाता था, अब अपनी किस्मत बदलने को तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कोशिशों से मध्यप्रदेश को केन-बेतवा लिंक परियोजना के रूप में एक ऐतिहासिक सौगात मिली है. यह एक लाख करोड़ रुपये की महापरियोजना बुंदेलखंड के खेतों को हरियाली से भर देगी, जिससे न केवल फसल उत्पादन दोगुना होगा, बल्कि यह इलाका पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को भी पीछे छोड़ने की ओर अग्रसर होगा.

बुंदेलखंड बनेगा हरा-भरा

केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के लिए वरदान साबित होगी. इससे जल संकट झेल रहे किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा मिलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से किसानों की फसलों को शुद्ध पेयजल और भरपूर सिंचाई का लाभ मिलेगा, जिससे उत्पादन दोगुना होने के पूरे आसार हैं. इससे बुंदेलखंड की धरती हरी-भरी होगी और यहां के किसान खुशहाल जीवन जी पाएंगे.

5 रुपये में बिजली कनेक्शन

सरकार ने किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिजली कनेक्शन अब मात्र 5 रुपये में देने की घोषणा की है.  इतना ही नहीं, 2 हॉर्स पावर से लेकर 10 हॉर्स पावर तक के सोलर पंप भी वितरित किए जाएंगे, जिससे किसानों की सिंचाई लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा. इस पहल से ऊर्जा बचत होगी और किसानों को सस्ती बिजली मिलकर उत्पादन बढ़ेगा.

डेयरी यूनिट पर 25 फीसदी सब्सिडी

मध्यप्रदेश सरकार डेयरी सेक्टर को भी नई रफ्तार देने की तैयारी में है. जो किसान 25 या उससे अधिक गाय-भैंस पालने की यूनिट लगाएंगे, उन्हें 25 फीसदी तक की सरकारी सब्सिडी मिलेगी. इससे ग्रामीण युवाओं को नया रोजगार मिलेगा, दूध उत्पादन बढ़ेगा और पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. इसके अलावा, सरकार किसानों के दूध को भी पूरी तरह खरीदेगी, जिससे उनकी आमदनी स्थिर और बढ़ेगी

लावारिस पशुओं की देखभाल पर आर्थिक मदद

सरकार ने सिर्फ उत्पादकता पर ही नहीं, बल्कि संवेदनशील पहलुओं पर भी ध्यान दिया है. लावारिस और अपाहिज गायों की देखभाल के लिए पशुशालाएं बनाई जाएंगी और इनके संचालन के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाएगी, जिससे पशुपालन के क्षेत्र में संतुलन बना रहेगा. इससे पशुओं का संरक्षण होगा और किसान समुदाय को भी राहत मिलेगी.

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