प्याज की फसल में फूल आते ही करें स्प्रे, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

फूल आने के समय प्याज की फसल में डाउन माइल्ड्यू और व्हाइट रॉट जैसी फफूंद (फंगस) की बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं. इन बीमारियों से पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, पौधे की बढ़त रुक जाती है और कंद (बल्ब) का विकास भी कमजोर हो जाता है.

नई दिल्ली | Published: 20 May, 2025 | 10:09 AM

जब प्याज के पौधों में फूल आने लगते हैं, तो यह फसल के लिए बहुत ही नाजुक और अहम समय होता है. इस समय पौधे अपनी बढ़त के एक नए चरण में पहुंचते हैं, यानी अब वे पत्तियों से आगे बढ़कर बीज और फूल बनाने लगते हैं. ऐसे समय पर यदि ध्यान न दिया जाए, तो कीड़े-मकोड़े और बीमारियां फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बीमारियों से बचाव के लिए फफूंदनाशी (Fungicide) का छिड़काव जरूरी

फूल आने के समय प्याज की फसल में डाउन माइल्ड्यू और व्हाइट रॉट जैसी फफूंद (फंगस) की बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं. इन बीमारियों से पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, पौधे की बढ़त रुक जाती है और कंद (बल्ब) का विकास भी कमजोर हो जाता है.

इससे बचने के लिए फूल आते ही पौधों पर विशेष फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. यह एक तरह का बचाव होता है जो बीमारी को फैलने से पहले ही रोक देता है.

कीड़ों पर भी रखें नजर

फूल आने के साथ-साथ कुछ कीट जैसे एफिड्स (चींटी जैसे कीड़े), थ्रिप्स (सूक्ष्म कीड़े) और प्याज मक्खी (ऑनियन मैगट) भी फसल पर हमला कर सकते हैं. ये कीड़े पौधों की रस चूसते हैं जिससे पौधा कमजोर हो जाता है और उत्पादन घट जाता है. इनसे बचाव के लिए फूल आने के समय उपयुक्त कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना जरूरी होता है. साथ ही पौधों की निगरानी रोज करनी चाहिए ताकि किसी भी हमले की पहचान समय रहते हो सके.

कब और कैसे करें छिड़काव?

  • दवा का छिड़काव सुबह जल्दी या शाम को करना सबसे अच्छा रहता है, जब मौसम ठंडा होता है और दवा जल्दी सूखती नहीं.
  • गर्म और सूखे मौसम में छिड़काव करने से दवा जल्दी उड़ सकती है और असर कम हो जाता है.
  • जो भी दवा इस्तेमाल करें, उसके लेबल पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और उसी अनुसार मात्रा और विधि अपनाएं.