पिछले दो हफ्तों में प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. जहां पहले प्याज की भरपूर आवक और अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, वहीं अब अचानक मौसम की मार ने हालात बदल दिए हैं. तेज और लगातार बारिश ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे बाजार में प्याज की आवक घट गई है और दाम करीब 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं.
बारिश ने बिगाड़ा प्याज की फसल का हाल
महाराष्ट्र, खासकर नासिक जिले के लासलगांव मंडी, जो भारत की सबसे बड़ी प्याज मंडी मानी जाती है, वहां के किसान इस बार परेशान हैं. 15 मई को यहां प्याज की औसत कीमत 11.50 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 31 मई तक बढ़कर 14 रुपये प्रति किलो हो चुकी है. यह सीधे तौर पर करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी है.
किसानों का कहना है कि मई के दूसरे और तीसरे सप्ताह में अचानक हुई भारी बारिश ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया. खेतों में पानी भर गया, जिससे कटाई में देरी हुई और स्टोरेज में रखे प्याज भी खराब होने लगे. नतीजा ये हुआ कि प्याज की सप्लाई कम हो गई और दाम चढ़ने लगे.
उत्पादन और स्टोरेज अच्छा, फिर भी दाम क्यों बढ़े?
हालांकि इस साल उत्पादन और भंडारण दोनों ही बेहतर रहे हैं. इसके बावजूद कीमतों में तेजी आई है, क्योंकि फसल को बारिश से नुकसान पहुंचा है और ताजा प्याज की आवक में कमी आई है. इसके साथ ही, व्यापारियों को अब उम्मीद है कि सरकार प्याज की सरकारी खरीद (procurement) शुरू कर सकती है, जिससे बाजार में प्याज की उपलब्धता और भी घट सकती है और दाम और चढ़ सकते हैं .
आम आदमी की जेब पर असर
प्याज की कीमत में यह उछाल सीधे तौर पर आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ सकता है. खासकर शहरी इलाकों में जहां प्याज का रोजाना इस्तेमाल होता है, वहां दाम 20 से 25 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच सकते हैं. अगर सरकार ने समय रहते बाजार में स्टॉक नहीं उतारा, तो दाम जून के दूसरे हफ्ते में और बढ़ सकते हैं.
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
प्याज व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि बारिश और मौसम की स्थिति सामान्य नहीं रही, तो आवक और घटेगी और दाम और बढ़ सकते हैं. हालांकि, अगर सरकार की खरीद प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू होती है और निजी व्यापारी भी स्टॉक रिली ज करते हैं, तो कुछ हफ्तों में स्थिति सुधर सकती है.