Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश सरकार ने आने वाले मौसम के लिए गेहूं और धान की खुद की खरीदारी जारी रखने से इनकार कर दिया है. इसका कारण राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) पर 77,000 करोड़ रुपये का बढ़ता कर्ज बताया गया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि केंद्रीय खाद्य निगम (FCI) सीधे किसानों से गेहूं और धान खरीदे. अभी तक राज्य सरकार किसानों से अनाज खरीदकर FCI को सौंपती थी. लेकिन अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो यह सिस्टम खत्म हो जाएगा और FCI सीधे किसानों से अनाज खरीदेगा. मुख्यमंत्री ने अपने 1 अक्टूबर के पत्र में लिखा कि वर्तमान खरीद प्रणाली वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं रही है. हाल के वर्षों में गेहूं की खरीद 77.74 लाख मीट्रिक टन और धान की 43.49 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है.
राज्य ने इस योजना को चलाने के लिए बैंकों से 72,177 करोड़ रुपये उधार लिए हैं, लेकिन केंद्र से भुगतान में देरी और स्टॉक की धीमी बिक्री ने वित्तीय दबाव बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीयकृत प्रणाली अपनाने से नुकसान कम होगा और राज्य के खजाने पर कर्ज का बोझ घटेगा. मध्य प्रदेश सरकार ने विकेंद्रीकृत खरीदारी से हटने का फैसला तीन मुख्य कारणों से किया है.
78 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी
इस साल राज्य ने 78 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा, लेकिन सिर्फ 20,000 टन का इस्तेमाल राज्य में राशन वितरण के लिए हुआ. बाकी 75 फीसदी अनाज FCI को भेजना पड़ा, जबकि राज्य को इसका पूरा परिवहन, भंडारण और ब्याज खर्च खुद वहन करना पड़ा. केंद्र केवल तभी खर्च की भरपाई करता है जब FCI स्टॉक उठा लेता है, जिसमें 2 से 3 साल लग जाते हैं. तब भी राज्य को केवल 90 से 95 फीसदी खर्च ही वापस मिलता है और कई लागतों पर विवाद सालों तक चलता रहता है. केवल इस साल गेहूं खरीद के लिए राज्य ने 20,000 करोड़ रुपये उधार लिए, जबकि पिछले साल के धान के लिए 10,000 करोड़ रुपये बाकी थे. इससे अकेले एक साल में 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज बन सकता है.
हर दिन 11 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज
सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन के एमडी अनुराग वर्मा ने कहा कि यह बदलाव किसानों या आम जनता को प्रभावित नहीं करेगा और इससे राज्य की बचत होगी. लेकिन सेवानिवृत्त अधिकारी और विशेषज्ञ इस पर चिंता जता रहे हैं. अनिल वाजपेयी ने कहा कि वर्षों की गलत प्रबंधन की वजह से निगम अब हर दिन 11 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज चुका रहा है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि FCI की कड़ी गुणवत्ता मानकों के कारण किसानों का बहुत सारा अनाज अस्वीकृत हो सकता है. ऐसे में अब अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है कि मध्य प्रदेश में गेहूं और धान की खरीद विकेंद्रीकृत रहेगी या पूरी तरह FCI के तहत हो जाएगी.