रबी फसलों की बुवाई में 15 फीसदी की बढ़ोतरी, गेहूं और चना बने किसानों की पहली पसंद

अक्टूबर के अंत तक देशभर में रबी फसलों का कुल रकबा 15 प्रतिशत बढ़कर लगभग 76 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यह वृद्धि कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, खासकर तब जब पिछले कुछ महीनों में अनियमित बारिश और बाढ़ जैसी चुनौतियों ने किसानों को काफी प्रभावित किया था.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Nov, 2025 | 09:00 AM

Rabi sowing 2025: देश में रबी सीजन की बुवाई ने इस बार उम्मीद से बेहतर शुरुआत की है. अक्टूबर के अंत तक देशभर में रबी फसलों का कुल रकबा 15 प्रतिशत बढ़कर लगभग 76 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यह वृद्धि कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, खासकर तब जब पिछले कुछ महीनों में अनियमित बारिश और बाढ़ जैसी चुनौतियों ने किसानों को काफी प्रभावित किया था. मौसम की स्थिरता और यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता ने रबी सीजन की मजबूत शुरुआत में अहम भूमिका निभाई है.

गेहूं और चना की बुवाई में जबरदस्त तेजी

इस बार रबी सीजन की सबसे बड़ी खुशी गेहूं और चना की बुवाई में आई तेजी से जुड़ी है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, गेहूं का रकबा पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी बढ़कर 3.3 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. अच्छी नमी और समय पर बुवाई ने इस वृद्धि को बल दिया है. इसी तरह, चना की बुवाई 14.9 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 23 फीसदी अधिक है.

दलहन फसलों में चना और मसूर (लेंटिल) दोनों का योगदान बढ़ा है. मसूर की खेती का क्षेत्र 1.9 लाख से बढ़कर 2.6 लाख हेक्टेयर हो गया है, जिससे कुल दलहन क्षेत्रफल में 26 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी और बाजार में चना-मसूर की स्थिर मांग ने किसानों को इन फसलों की ओर आकर्षित किया है.

तिलहन फसलों में सरसों ने फिर दिखाई ताकत

रबी सीजन में तिलहन फसलों की बुवाई में 13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसमें सरसों ने सबसे अहम योगदान दिया है. सरसों का रकबा बढ़कर 41.7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जिससे किसानों में एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि सरसों की खेती अब राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और यूपी के साथ-साथ बिहार में भी तेजी से बढ़ रही है. लगातार बढ़ती मांग और सरसों तेल की ऊंची कीमतें किसानों के लिए अतिरिक्त कमाई का जरिया बन रही हैं.

धान, मक्का और ज्वार में मामूली गिरावट

हालांकि कुछ फसलों में हल्की गिरावट देखने को मिली है. धान का रकबा घटकर 3.7 लाख हेक्टेयर, मक्का 2.1 लाख हेक्टेयर, और ज्वार 2.7 लाख हेक्टेयर रह गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, इन फसलों में कमी का मुख्य कारण नमी की कमी और बाजार भाव में उतार-चढ़ाव है.

यूरिया स्टॉक भरपूर, किसानों को राहत

सरकार ने रबी सीजन के लिए पर्याप्त यूरिया बफर स्टॉक तैयार कर लिया है. अक्टूबर की शुरुआत में जहां 48.6 लाख टन यूरिया का भंडार था, वहीं महीने के अंत तक यह बढ़कर 68.8 लाख टन हो गया.

उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, इस साल भारत का यूरिया आयात पिछले साल की तुलना में दोगुना होकर 58.6 लाख टन तक पहुंच गया है. इसके अलावा, नवंबर और दिसंबर के लिए 17.5 लाख टन अतिरिक्त आयात की व्यवस्था भी की गई है, ताकि किसानों को खाद की कमी का सामना न करना पड़े.

उत्पादन लक्ष्य और उम्मीदें

केंद्र सरकार ने इस बार रबी सीजन के लिए 119 मिलियन टन गेहूं और 11.8 मिलियन टन चना के उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसके साथ ही कुल रबी फसलों से 171.14 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान है, जो देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 47 फीसदी होगा.

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम अनुकूल रहा और बुवाई इसी गति से आगे बढ़ी, तो यह रबी सीजन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे न केवल खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार मिलेगी.

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