बाप-दादा की विरासत को बनाया ब्रांड, सीतापुर के अकील अहमद के आमों की विदेशों में मांग

उत्तर प्रदेश के सीतापुर के अकील अहमद ने अपने बाप-दादा की आम की खेती को ब्रांड बना दिया है. अब उनके आम की न केवल देश में बल्कि खाड़ी देशों में भी भारी मांग में हैं .

मोहित शुक्ला
लखनऊ | Published: 3 Jun, 2025 | 09:00 AM

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक छोटा सा गांव है औरंगाबाद. यहां के किसान अकील अहमद ने अपने बाप-दादा की आम की खेती को ऐसा रूप दिया कि अब उनके बागों का स्वाद खाड़ी देशों तक पहुंच रहा है. कभी यह आम सिर्फ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के बाजारों में बिकते थे. लेकिन अब दूसरे देशों से कारोबारी खुद उनके गांव आकर आम खरीदते हैं. अकील अहमद की मेहनत और सालों की लगन ने आम को सिर्फ एक फल नहीं, एक पहचान बना दिया है. आज उनके आम करोड़ों का टर्नओवर कर रहे हैं और सीतापुर का नाम विदेशों में चमका रहे हैं.

खुशबू जो खाड़ी देशों तक पहुंची

सीतापुर, जो राजधानी लखनऊ से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, अपने फल पट्टी क्षेत्र औरंगाबाद की वजह से जाना जाता है. यहां दशकों से आम की खेती होती आई है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहां के आमों की चर्चा विदेशों तक सुनाई देने लगी है.

1940 से शुरू हुई आम की कहानी

किसान इंडिया से बात करते हुये औरंगाबाद के किसान अकील अहमद बताते हैं कि उनके पिता साल 1940 में मलिहाबाद से आकर औरंगाबाद में बस गए और करीब 100 एकड़ जमीन पर आम की बागवानी शुरू की. उसके बाद उनके न रहने पर अकील ने खुद पिता की शुरू की गई इस विरासत को पूरी लगन से बढ़ाया. शुरुआत में आम को बेचने के लिए उन्हें पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक जाना पड़ता था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

अब व्यापारी खुद आते हैं आम लेने

अब हालात ऐसे हैं कि देश और विदेश के आम व्यापारी सीजन शुरू होने से पहले ही औरंगाबाद आकर आम का सौदा कर जाते हैं. अकील मियां बताते हैं कि अब हमें अपने आम लेकर बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. व्यापारी खुद आकर खरीद लेते हैं.इससे ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय दोनों की बचत होती है.

Sitapur Mango Farmer Aqeel Ahmad

Sitapur Mango Farmer Aqeel Ahmad

‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना से बढ़ा सम्मान

उत्तर प्रदेश सरकार की ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के तहत जब सीतापुर में आम को चिन्हित किया गया, तब से इन बागों को नई पहचान और कीमत मिली है. अकील मियां कहते हैं कि पहले आम का अच्छा भाव नहीं मिलता था, लेकिन अब बाजार खुद हमारे दरवाजे पर आ गया है. इससे अकील सालाना कई करोड़ रुपये का टर्नओवर कर रहे हैं.

इन आमों की रहती है भारी डिमांड

सीतापुर के आमों में दशहरी, चौसा, लंगड़ा, लखनवी सफेदा, मलिहाबादी सफेदा, फजली, गुलाब खास, मालदहा जैसी दर्जनों किस्में शामिल हैं. इसके अलावा देसी आम की करीब 70 किस्में भी होती हैं जिनकी खाड़ी देशों में भारी डिमांड है.

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Published: 3 Jun, 2025 | 09:00 AM

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