पंजाब में बासमती की खेती करने वाले किसान अब फसल में कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. क्योंकि राज्य सरकार ने बासमती फसल पर 11 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. गुरनाम सिंह ने कहा कि बासमती चावल के निर्यात में दिक्कतें आ रही थीं, क्योंकि कुछ कीटनाशकों की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई जा रही थी. इसके कारण किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा था. इसी वजह से सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है.
द ट्रब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे बासमती फसल पर 11 कीटनाशकों और इनके किसी भी तरह के मिश्रण का इस्तेमाल न करें. खास बात यह है कि पंजाब सरकार ने जिन 11 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर बैन लगाया है उनमें एसिफेट, ब्यूप्रोफेजिन, क्लोरोपायरीफॉस, कार्बोफ्यूरान, प्रोपिकोनाज़ोल, थायमेथॉक्सम, प्रोफेनोफॉस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल और टेबुकोनाजोल का भी नाम शामिल है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से कीटनाशों के इस्तेमाल में गिरावट आएगी.
इस वजह से कीटनाशकों पर लगा बैन
हालांकि, इस रोक का मकसद बासमती की गुणवत्ता बनाए रखना और किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर दाम दिलाना है. डॉ. गुरनाम सिंह ने कहा कि जो डीलर इन प्रतिबंधित कीटनाशकों को किसी दूसरी फसल के लिए बेचना चाहते हैं, उन्हें बिल या कैश मेमो पर उस फसल का नाम साफ-साफ दर्ज करना होगा. इसके साथ ही जिले के सभी डीलरों को इन 11 कीटनाशकों की बिक्री का पूरा रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बासमती फसल पर इन प्रतिबंधित कीटनाशकों का इस्तेमाल न हो.
तेज धूप से मजदूर परेशान
वहीं, पंजाब के पटियाला में तेज गर्मी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मजदूर चिलचिलाती धूप में धान की रोपाई करने से हिचक रहे हैं, जिससे काम धीमा पड़ गया है. 5 जून से खराब मौसम की वजह से मजदूरी दर भी बढ़ गई है. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ने इस बार रोपाई की तारीख 1 जून कर दी, लेकिन गर्मी की वजह से रोपाई की रफ्तार अब भी धीमी है.