60 दिनों के दौरान इन 3 फसलों का रेट MSP से 9 फीसदी तक कम, जानें गेहूं-जौ का भाव

मार्च-अप्रैल के दौरान चना की कीमतें 2.4 प्रतिशत घटकर 5,514 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं, जबकि मसूर की कीमतें 6,700 रुपये प्रति क्विंटल से 8.6 प्रतिशत घटकर 6,127 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं. सरसों औसतन 5,702 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी, जो 5,950 रुपये प्रति क्विंटल से 4.2 प्रतिशत कम है.

नोएडा | Updated On: 7 May, 2025 | 11:19 AM

इस साल मंडियों में खरीदी के लिए रबी फसलों की आवक बंपर रही. इसके बावजूद मार्च-अप्रैल महीने में गेहूं और जौ का रेट मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) से ज्यादा रहा, जो किसानों के लिए अच्छे संकेत हैं. हालांकि, सरसों, चना और मसूर की कीमतें एमएसपी से कम दर्ज की गईं. गेहूं का रेट मार्च-अप्रैल महीने के दौरान जहां एमएसपी 2,425 रुपये क्विंटल से ऊपर रहा. वहीं, सरसों, चना और मसूर की कीमतें उसके एमएसपी से 2 – 9 प्रतिशत तक कम रहीं.

एगमार्कनेट पोर्टल द्वारा बनाए गए मंडी मूल्य डेटा के अनुसार, मार्च-अप्रैल की अवधि के दौरान गेहूं की औसत फार्मगेट कीमत 2,476 रुपये क्विंटल थी, जो MSP से 2.1 प्रतिशत अधिक थी. हालांकि, अप्रैल में इसमें गिरावट आई और यह मार्च के 2,600 से घटकर 2,451 रुपये प्रति क्विंटल रह गई.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि वैज्ञानिक एसके सिंह ने कहा कि अगर सरकार 310 लाख टन से अधिक गेहूं खरीद करती है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली या खुले बाजार बिक्री योजना के माध्यम से बाजार में पर्याप्त मात्रा में जारी करती है, तो कीमतों पर दबाव बना रहेगा. कृषि मंत्रालय ने 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए 1154.3 लाख टन रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है.

एसके सिंह ने कहा कि गेहूं के बाद जौ ऐसी फसल है, जिसका रेट एमएसपी से ज्यादा है और इसकी कीमत में बढ़ोतरी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को पहले दो महीनों (मार्च-अप्रैल) में औसतन 2,098 रुपये प्रति क्विंटल मिले, जो इसके एमएसपी 1,980 रुपये से 6 प्रतिशत अधिक था. लेकिन 1-6 मई के दौरान औसत कीमत 2,223 रुपये दर्ज की गई, जो मार्च में 2,086 रुपये प्रति क्विंटल और अप्रैल में 2,103 रुपये प्रति क्विंटल थी.

मसूर और सरसों का मंडी रेट

दूसरी ओर चना, रबी की प्रमुख दाल, मसूर और सरसों की मंडी कीमतें मार्च और अप्रैल के दौरान एमएसपी से 2 से 9 प्रतिशत कम रहीं. पिछले कई सालों से एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आंदोलन चला रहे किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि जहां तक ​​मंडी कीमतों का सवाल है, यह 2022 सीजन की पुनरावृत्ति है, क्योंकि उस समय किसानों को चना, मसूर और सरसों के लिए एमएसपी से 2 से 8 प्रतिशत कम मिला था. उन्होंने किसानों को एमएसपी नहीं मिल पाने के लिए खरीद प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया.

इन फसलों की रही इतनी कीमत

चना की कीमतें 2.4 प्रतिशत घटकर 5,514 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं, जबकि मसूर की कीमतें 6,700 रुपये प्रति क्विंटल से 8.6 प्रतिशत घटकर 6,127 रुपये प्रति क्विंटल रह गईं. सरसों औसतन 5,702 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी, जो 5,950 रुपये प्रति क्विंटल से 4.2 प्रतिशत कम है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चना की औसत कीमत मार्च में 5,434 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर अप्रैल में 5,585 रुपये हो गई (151 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी). इसी तरह, मसूर की कीमतें एक महीने में 278 रुपये प्रति क्विंटल और सरसों की कीमतें 238 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी हैं और आने वाले महीनों में कीमतों में और बढ़ोतरी के संकेत हैं.

Published: 7 May, 2025 | 10:52 AM