हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक छोटे से गांव अंबोटा से निकलकर अनुभव सूद ने जो कर दिखाया, वह आज कई बेरोजगार युवाओं के लिए मिसाल बन गया है. कभी सिर्फ 1 लाख रुपये की पूंजी से शुरू किया गया मधुमक्खी पालन का काम आज उन्हें सालाना 30 लाख रुपये की कमाई करा रहा है. मेहनत, योजना और थोड़ी सी समझदारी के दम पर अनुभव ने न सिर्फ अपना कारोबार खड़ा किया, बल्कि 10 अन्य लोगों को भी रोजगार दिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि अनुभव सूद की कहानी हिमाचल प्रदेश के कई बेरोजगार युवाओं की कहानी से मिलती-जुलती है, जो मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत मधुमक्खी पालन को अपना रहे हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. यह योजना बेरोजगारों और खेती तथा फलों की खेती में लगे लोगों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुई है, क्योंकि यह परागण में सहायता करने के साथ-साथ अतिरिक्त आय भी पैदा करती है.
1 लाख रुपये लगाकर 25 बक्सों से की शुरुआत
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़ी मां निशा सूद से प्रेरित होकर अनुभव ने सोलन स्थित नौणी यूनिवर्सिटी से एक महीने की ट्रेनिंग ली और फिर कटरा स्थिति शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय से एक हफ्ते की ट्रेनिंग ली. अनुभव ने शुरुआती दौर में उन्होंने 25 बक्सों से मधुमक्खी पालन शुरू किया. शुरुआत में 1 लाख रुपये लगाए थे.
‘पहाड़ी हनी’ ब्रांड से बाजार में बनाई पहचान
अनुभव ने पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत केनरा बैंक से 10 लाख रुपये का लोन लिया और ‘पहाड़ी हनी’ नाम से अपना ब्रांड लॉन्च किया. आज उनके पास 300 मधुमक्खी बक्से हैं और वे सालाना करीब 10,000 किलो शहद का उत्पादन करते हैं. उनके उत्पादों में ब्लैक फॉरेस्ट, ब्लैक डायमंड, मल्टी फ्लोरा, केसर और अकेशिया जैसे वैरायटी शामिल हैं. इसके अलावा, अनुभव मधुमक्खी पालने से साल की 30 लाख रुपये की कमाई भी कर रहे हैं.
हिमाचल से राजस्थान तक घूमती हैं मधुमक्खियां
बेहतर क्वालिटी और विविधता वाले शहद के लिए अनुभव मधुमक्खियों को अलग-अलग राज्यों जैसे हिमाचल, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में मौसम के हिसाब से ले जाते हैं. इससे शहद की क्वालिटी में सुधार आता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है.
सरकारी मदद और स्वरोजगार की मिसाल
बागवानी विभाग, ऊना के उपनिदेशक के.के. भारद्वाज के अनुसार, इस योजना के तहत मधुमक्खी पालन के लिए 1.60 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, जिसमें 50 मधुमक्खी बक्से शामिल होते हैं, साथ ही मधुमक्खियों के परिवहन के लिए 10 हजार रुपये की वित्तीय मदद भी दी जाती है. इस योजना का लाभ उठाकर अनुभव अब 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं और उनके उत्पाद FSSAI से प्रमाणित हैं.