31 दिसंबर से पहले किसान इस ऐप पर करा लें रजिस्ट्रेशन, वरना नहीं मिलेगा MSP का लाभ

मेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच भारत ने कपास पर आयात शुल्क हटा दिया, जिसके बाद बाजार में कपास के दाम में गिरावट आ रही है. ऐसे में कई राज्यों में किसान MSP से कम कीमत पर कापस बेचने को मजबूर हो गए हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 12 Dec, 2025 | 12:31 PM

Maharashtra Cotton Farmers: महाराष्ट्र में करीब 7 लाख किसानों ने कपास बेचने के लिए Kapas Kisan ऐप पर पंजीकरण कराया है. हालांकि, पंजीकरण की प्रक्रिया अभी भी जारी है. ऐसे पंजीकरण की आखिरी तारीख 31 दिसंबर है. यह पंजीकरण CCI को MSP पर बिक्री के लिए किया जा रहा है. अगर आप पंजीकरण नहीं कराते हैं, एमएसपी का लाभ नहीं मिलेगा. इसलिए कपास किसान 31 दिसंबर से पहले पंजीकरण करा लें.

 दरअसल, अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद के बीच भारत ने कपास पर आयात शुल्क हटा दिया, जिसके बाद बाजार में कपास के दाम में गिरावट आ रही है. ऐसे में कई राज्यों में किसान MSP से कम कीमत पर कापस बेचने को मजबूर हो गए हैं. खास कर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कापस किसानों को कुछ ज्यादा ही नुकसान उठाना पड़ रहा है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार लंबी किस्म वाली कपास  MSP 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है और आयात शुल्क भी 31 दिसंबर तक हटाया गया है. देशभर में अब तक 41 लाख पंजीकरण हो चुके हैं, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि वास्तविक किसान संख्या इससे ज्यादा है. खासकर विदर्भ इलाकों में बड़ स्तर पर कपास किसानों ने उपज बेचने के लिए Kapas Kisan ऐप पर पंजीकरण कराया है.

खुले बाजार में कपास के दाम सुधर रहे हैं

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शुरू में ऐप आधारित प्रक्रिया के कारण कई किसानों को रजिस्ट्रेशन  में दिक्कत आई. लेकिन CCI अधिकारियों के मुताबिक अब हर दिन 50,000 नए किसान जुड़ रहे हैं. इसका मतलब है कि किसान अपनी सुविधा के अनुसार MSP पर कपास बेचने के लिए पंजीकरण कर रहे हैं. इधर, CCI द्वारा खरीद बढ़ने के बाद खुले बाजार में कपास के दाम भी सुधरे हैं.

किसानों को नहीं मिल रहा MSP का लाभ

हालांकि, निजी व्यापारी एमएसपी से कम कीमत पर कपास की खरीदी  कर रहे हैं. वे किसानों को 7,400 प्रति क्विंटल का रेट दे रहे हैं. हालांकि, अक्सर व्यापारी कपास को लोअर ग्रेड बताकर यह कीमत देते हैं, क्योंकि बेहतरीन कपास के भाव MSP के करीब रखने पड़ते हैं.

देशभर में करीब 27 लाख गांठें खरीदी गईं

यवतमाल के वानी APMC के निदेशक रोशन कोठारी ने कहा कि शुरुआत में कपास केवल 6,800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी, लेकिन अब निजी मंडियों में रेट बढ़ा है. उनका कहना है कि 8,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव किसानों को इस साल की कम पैदावार को देखते हुए ठीक-ठाक मुनाफा दे सकता है. इस बीच, CCI ने महाराष्ट्र में लगभग 5 लाख गांठें और देशभर में करीब 27 लाख गांठें खरीदी हैं.

कपास की आवक में 49.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी

वहीं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की आवक  में 49.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इन तीन राज्यों में अब तक 13.32 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) मंडियों में पहुंचे हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 8.90 लाख गांठ ही पहुंचे थे. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण मंडियों में कपास के भाव का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम होना है. MSP पर खरीद करने वाली कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) की मौजूदगी के बावजूद, किसान अपना उत्पादन रोकने के बजाय जल्दी मंडियों में बेच रहे हैं.

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