किसानों की बढ़ेगी कमाई, सरकार बनाएगी मसाला मार्ग.. लगाए जाएंगे 1.25 लाख मसालों के पौधे

अगस्त से सितंबर के बीच कुल 1.25 लाख मसालों के पौधे लगाए जाएंगे. इसमें 70,000 दालचीनी के पेड़, 50,000 काली मिर्च के पौधे और लगभग 1,000 जायफल के पेड़ शामिल हैं. इन सभी पौधों को सरकारी नर्सरी में उगाया जाएगा, ताकि उनकी गुणवत्ता और एकरूपता बनी रहे.

नोएडा | Updated On: 3 Aug, 2025 | 08:19 AM

अंडमान और निकोबार प्रशासन ने पुराने मसाला मार्ग को फिर से जीवित करने और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्रोजेक्टस्पाइस प्रवाह’ शुरू किया है. प्रशासन को उम्मीद है उसके इस फैसले से मसाला व्यापारियों के साथ-साथ किसानों को भी फायदा होगा. उनकी कमाई में इजाफा होगा और कारोबार को मजबूती मिलेगी. खास बात यह है कि प्रदेश में मसाला की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में मुख्य सचिव चंद्र भूषण कुमार ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं, मसाले हमारी संस्कृति और खानपान की परंपराओं से गहराई से जुड़े हुए हैं. खास कर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह चोल साम्राज्य के समय से ही वैश्विक मसाला व्यापार मार्ग का हिस्सा रहे हैं और बाद में औपनिवेशिक ताकतों द्वारा भी इस्तेमाल किए गए. अब हम अपनी प्राकृतिक खूबियों का फायदा उठाकर मसालों की खेती बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं.

हर साल औसतन 3,400 मिमी बारिश होती है

चंद्र भूषण कुमार ने कहा कि यहां हर साल औसतन 3,400 मिमी बारिश होती है, जो लगभग 180 दिनों में फैलती है. इसके साथ ही यहां की जलवायु मसालों की खेती के लिए बेहद अनुकूल है, जिससे यह इलाका कई तरह के मसाले उगाने के लिए आदर्श बन जाता है. मुख्य सचिव चंद्र भूषण कुमार ने कहा कि अब तक इस क्षेत्र की इस क्षमता का पूरी तरह उपयोग नहीं हो पाया है.

एक विस्तृत और दीर्घकालिक योजना बनाई है

उन्होंने कहा कि यहां दालचीनी, लौंग और काली मिर्च जैसे मसाले उगाए जरूर जाते हैं, लेकिन ये केवल सीमित मात्रा में और स्थानीय उपयोग के लिए ही होते थे. उन्होंने कहा कि ‘स्पाइस प्रवाह’ पहल से अब हम बड़े पैमाने पर उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं, ताकि घरेलू मांग पूरी हो सके और मसालों के आयात पर निर्भरता कम हो. मुख्य सचिव ने कहा कि ‘स्पाइस प्रवाह’ प्रोजेक्ट के तहत प्रशासन ने एक विस्तृत और दीर्घकालिक योजना बनाई है.

1.25 लाख मसालों के पौधे लगाए जाएंगे

इसमें सरकारी कृषि फार्मों के साथ-साथ उत्साही निजी किसानों को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि मिलकर मसालों की खेती को बढ़ावा दिया जा सके. अगस्त से सितंबर के बीच कुल 1.25 लाख मसालों के पौधे लगाए जाएंगे. इसमें 70,000 दालचीनी के पेड़, 50,000 काली मिर्च के पौधे और लगभग 1,000 जायफल के पेड़ शामिल हैं. इन सभी पौधों को सरकारी नर्सरी में उगाया जाएगा, ताकि उनकी गुणवत्ता और एकरूपता बनी रहे.

राष्ट्रीय सप्लाई चेन में भी योगदान देगी

इस पहल को तकनीकी और संस्थागत सहयोग केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान (CIARI), भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण और अन्य सरकारी रिसर्च संस्थानों से मिल रहा है. प्रशासन की योजना है कि मौजूदा नारियल बागानों की खाली जगह का उपयोग करके मसालों की खेती को बढ़ाया जाए, यानी इंटरक्रॉपिंग की रणनीति अपनाई जाएगी. मुख्य सचिव ने कहा कि आने वाले चार सालों में हमें मसालों की अच्छी पैदावार की उम्मीद है, जो न सिर्फ स्थानीय जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि राष्ट्रीय सप्लाई चेन में भी योगदान देगी.

किसानों को प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता मिलेगी

स्पाइस प्रवाह’ प्रोजेक्ट के अगले चरण में अंडमान और निकोबार के आठ कृषि क्षेत्रों में आठ मसाला संग्रहण केंद्र (Spice Collection Centres) बनाए जाएंगे. इन केंद्रों का उद्देश्य मसालों की प्रोसेसिंग, वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स तैयार करना और किसानों को प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता देना है. एक विशेष कोर टीम को पहले ही केरल के कोझिकोड स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइसेज रिसर्च (IISR) में पांच दिन की गहन ट्रेनिंग दी जा चुकी है.

कृषि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा

प्रशासन अब मसालों की ब्रांडिंग, जीआई टैगिंग (Geographical Indication) और एक मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क तैयार करने पर ध्यान दे रहा है, ताकि यहां उगाए गए मसालों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान मिल सके. मुख्य सचिव ने कहा कि ‘स्पाइस प्रवाह’ के जरिए अंडमान और निकोबार प्रशासन मसाला व्यापार में अपनी ऐतिहासिक पहचान को फिर से स्थापित करना चाहता है. इस पहल से कृषि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा होंगे.

Published: 3 Aug, 2025 | 08:17 AM