ठंड का मौसम जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे दूध देने वाले पशुओं की क्षमता कम होती चली जाती है. यही कारण है कि इस मौसम में पशुपालक परेशान रहते हैं कि आखिर दूध कम क्यों हो रहा है. लेकिन अगर कुछ आसान उपायों को अपना लिया जाए, तो न सिर्फ पशुओं को सर्दी से बचाया जा सकता है बल्कि दूध का उत्पादन भी 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड में सिर्फ गर्माहट ही नहीं बल्कि सही आहार और साफ-सफाई पर ध्यान देना भी जरूरी है.
ठंड में आहार ऐसा हो जो पेट को गर्म रखे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों में दूध देने वाले पशुओं को ऐसा चारा देना चाहिए जो आसानी से पच जाए और शरीर को ऊर्जा दे सके. भूसा इस मौसम में ऊर्जा का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है. इसलिए कोशिश करें कि पशु को भरपेट भूसा खिलाएं. इसके साथ ही आहार में गेहूं का दलिया, ज्वार, चना और सरसों की खली भी शामिल करें. ये चीजें पेट को गर्म रखने के साथ-साथ दूध बढ़ाने में भी मदद करती हैं.
बिनोला ऐसे खिलाएं तभी मिलेगा पूरा फायदा
कई पशुपालक बिनोला तो देते हैं, लेकिन सही तरीके से नहीं. विशेषज्ञों के मुताबिक, बिनोला को सीधा नहीं खिलाना चाहिए. इसे रातभर पानी में भिगोकर रखें, सुबह पानी बदलें और हल्का उबाल लें. इसके बाद दिन में दो बार खिलाएं. इससे बिनोला आसानी से पचता है और दूध की मात्रा में काफी बढ़ोतरी होती है.
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गुड़ और सरसों का तेल-सर्दी भगाने का देशी नुस्खा
गांवों में आज भी गुड़ और सरसों के तेल को पशुओं के लिए रामबाण माना जाता है. ठंड के मौसम में थोड़ा गुड़ और सरसों का तेल खिलाने से शरीर में गर्मी बनी रहती है और पशु बीमार नहीं पड़ते. कई पशुपालक इसे चारे में मिलाकर देते हैं, जिससे दूध देने की क्षमता में अच्छा फर्क दिखता है.
बाड़ा थोड़ा खुला रखें लेकिन हवा अंदर न घुसे
अक्सर लोग सर्दियों में पशुओं को पूरी तरह बंद कमरे में बांध देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. बाड़ा ऐसा होना चाहिए कि उसमें सूरज की रोशनी आए और हल्की हवा बाहर निकल सके, लेकिन ठंडी हवा सीधे अंदर न आए. इससे पशु को दम घुटने जैसा महसूस नहीं होगा और वह आराम से बैठ पाएगा.
साफ-सफाई और निगरानी बहुत जरूरी
ठंड के मौसम में बीमारियां जल्दी पकड़ लेती हैं. इसलिए पशु की गोबर, मूत्र या किसी भी अलग लक्षण पर तुरंत ध्यान दें. अगर पशु सुस्त दिखे या खाने में कमी हो, तो तुरंत उपचार कराएं. रोजाना पशु के नीचे सूखा बिछावन रखें ताकि शरीर को ठंड न लगे. यदि संभव हो तो रात में खान-पान के बाद थोड़ा गुनगुना पानी भी दें.